डॉ.रंजना वर्मा ‘रैन’
गोरखपुर
हिन्दी भाषा मेरी शान,
मुझको इस पर है अभिमान l
पैरोकार बने यह मान,
यही करे सबका कल्यान ।l
नियत न हो इसका दिनमान,
पुरोधाओं को मेरा प्रणाम l
निरन्तर उन्नति और सम्मान,
करेगा हम सब का उत्थान ।l
कराता जो सबको रसपान,
यही हिन्दी भाषा का ज्ञान l
जोश भर दे फूंकें नव प्रान,
यही है हिन्दी की पहचान।l
हृदय में बसे कराए भान,
विश्व की संस्कृतियों की शान l
रचे हर दिन हम नया विधान,
बनाएं हिन्दी को बलवान ।l
सिमट न जाए इसका ज्ञान,
बढांएं विश्व पटल पर मान l
न होगा इसका अब अपमान,
बनेगी दुनिया की यह शान ll