Sunday, May 11, 2025
नेशनल फ्रंटियर, आवाज राष्ट्रहित की
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
No Result
View All Result
नेशनल फ्रंटियर
Home साहित्य

हिंदी पत्रकारिता की कहानी भारतीय राष्ट्रीयता की कहानी है

Manoj Rautela by Manoj Rautela
30/05/20
in साहित्य
हिंदी पत्रकारिता की कहानी भारतीय राष्ट्रीयता की कहानी है

अमन चतुर्वेदी

Share on FacebookShare on WhatsappShare on Twitter

-हिंदी पत्रकारिता की कहानी भारतीय राष्ट्रीयता की कहानी है-

आज के इस लेख का आरंभ मैंने आज से ठीक एक साल पहले लिखे गए अपने लेख के प्रथम वाक्य से किया है क्योंकि यह हिन्दी पत्रकारिता का अटल सत्य है।

194 वर्षों से चली आ रही इस कहानी ने अनेकों उतार चढ़ाव एवं बदलाव देखे , आज़ादी के मिशन की पत्रकारिता से लेकर व्यावसायीकरण के मिशन तक। पंडित शुक्ला ने जब उदंत मार्तण्ड की प्रारंभिक प्रतियों को अंग्रेजी शासन में वितरित करना चाहा तो विफल हुए , कारण उस समय के अंग्रेज़ी पत्र और सरकारी दबाव। फलस्वरूप 30 मई 1826 को उदंत मार्तण्ड का सूरज उगा तथा 1826 के ही वर्ष 4 दिसंबर को डूब गया लेकिन वह ये सुनिश्चित कर गया कि आने वाला युग हिंदुस्तान में हिंदी पत्रकारिता का युग होगा।इसी का असर था कि स्वतंत्रता संग्राम मिशन के साथ देश में हिंदी पत्रकारिता का उद्भव हुआ और पत्रकारों के हिंदी कलम और अंग्रेज़ो की लड़ाई ने इसे हिंदी पत्रकारिता का स्वर्णिम काल बना दिया।अब आपको मेरे प्रथम वाक्य की महत्वता का एहसास हो रहा होगा।
आज़ादी के पश्चात पत्रकारिता का व्यवसायीकरण हुआ जिसमें हिंदी भी अछूती नहीं रही , अखबार की करोड़ों प्रतियां बिकने लगी तो लाखों के विज्ञापन भी मिलने लगे।इन सब के बीच आज 21वीं शताब्दी में पत्रकारिता विशेष गुण व्यवसाय की धूल में ओझल होते जा रहे है जिसका खामियाजा हिंदी पत्रकारिता के साथ हिंदी भाषा को भी भुगतना पड़ रहा है। आज हिंदी पत्रकारिता दिवस है , क्या हम ये आकलन कर पा रहे है कि डिजिटल होती दुनिया और शोशल मीडिया के माहौल में इस हिंदी पत्रकारिता का स्वर्णिम युग लौट सकता है? वर्तमान में हिंदी पत्रकारिता को मॉडर्न बनाने में हम उसके मूल का विनाश तो नहीं कर रहे ??हमें इससे जुड़े सगुण बदलाव के बारे में भी सोचना चाहिए क्योंकि हिंदी पत्रकारिता की कहानी राष्ट्रभक्ति की कहानी है।

अमन चतुर्वेदी
वाराणसी

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

About

नेशनल फ्रंटियर

नेशनल फ्रंटियर, राष्ट्रहित की आवाज उठाने वाली प्रमुख वेबसाइट है।

Follow us

  • About us
  • Contact Us
  • Privacy policy
  • Sitemap

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.

  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.