नई दिल्ली : अमेरिका पहली बार अपने मोस्ट एडवांस फाइटर जेट F-35, F-16s और B-1B बॉम्बर्स लेकर भारत आया है। युनाइटेड स्टेट्स एयर फोर्स (USAF) के पांचवीं पीढ़ी के एफ-35 लड़ाकू विमानों ने बीते मंगलवार को एयर शो ‘एयरो इंडिया’ में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया। स्टेल्थ (रडार की पकड़ से बचने में सक्षम), सुपरसोनिक, एफ-35ए लाइटनिंग टू और एफ-35ए ज्वाइंट स्ट्राइक फाइटर ने बेंगलुरु में वायु सेना स्टेशन येलहंका में करतब दिखाए।
US के उताह में हिल वायुसैनिक अड्डे से यात्रा के बाद एफ-35ए लाइटनिंग टू टीम ने अपनी हवाई क्षमताओं के प्रदर्शन से लोगों को दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर कर दिया। एफ-35 के अलावा ‘एफ-16 फाइटिंग फाल्कन’ ने भी हवाई प्रदर्शन में हिस्सा लिया और अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया। रक्षा जानकारों का मानना है कि अमेरिका ऐसा नई दिल्ली को अपने पारंपरिक सैन्य आपूर्तिकर्ता रूस से दूर करने के मकसद से कर रहा है।
लड़ाकू जेट बेड़े का आधुनिकीकरण करने पर जोर
दरअसल, भारत अपनी वायु शक्ति को बढ़ाने के लिए सोवियत युग के लड़ाकू जेट बेड़े का आधुनिकीकरण करने के लिए बेताब है। यूक्रेन युद्ध के कारण रूसी सप्लाई में देरी ने इंडिया की चिंता बढ़ा दी है। साथ ही भारत पर खुद को रूस से दूर करने के लिए कहीं न कहीं पश्चिमी दबाव भी काम कर रहा है। एयरो इंडिया शो में इस बार अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल 27 साल के इतिहास में सबसे बड़ा है। यह US और भारत के बीच बढ़ते रणनीतिक संबंधों को दर्शाता है।
एयरो इंडिया में नाममात्र ही रूस की उपस्थिति
वहीं, सोवियत संघ के दिनों से भारत के सबसे बड़े हथियार आपूर्तिकर्ता रूस की उपस्थिति नाममात्र की रही। रूस के हथियार निर्यातक रोसोबोरोनेक्सपोर्ट का यूनाइटेड एयरक्राफ्ट और अल्माज-एंटी के साथ संयुक्त स्टॉल था, जिसमें विमान, ट्रक, रडार और टैंक के छोटे मॉडल प्रदर्शित किए गए। पिछले साल शो में रोसोबोरोनेक्सपोर्ट के स्टॉल पर अधिक ध्यान गया था। हालांकि, भारत हाल के सालों में यूरोपीय और अमेरिकी लड़ाकू जेट पर अधिक फोकस कर रहा है। इसे देखते हुए बीते एक दशक से रूस बेंगलुरु में अपने लड़ाकू जेट नहीं लाया।
US के मॉडर्न लड़ाकू विमानों ने दिखाई ताकत
वायुसेना और अंतरराष्ट्रीय मामलों के अमेरिकी सहायक उप अवर सचिव मेजर जनरल जूलियन सी चीटर ने इस पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘एफ-35 विमान अमेरिकी लड़ाकू विमानों की मॉडर्न टेक्नोलॉजी का प्रतिनिधित्व करता है। एयरो इंडिया अमेरिका की ओर से सबसे उन्नत, सक्षम, घातक और इंटरऑपरेबल हथियार प्रणालियों का प्रदर्शन करने के लिए आदर्श मंच है। इस प्रणाली और अन्य को उन्नत प्रतिरक्षा के लिए तैयार किया गया है। एफ-35 का इंजन 43,000 पाउंड का प्रतिक्रिया बल (थ्रस्ट) पैदा करता है।’
एयरो इंडिया में अमेरिका की अहम भागीदारी
भारत में प्रभारी अमेरिकी राजदूत ए एलिजाबेथ जोन्स ने कहा कि ‘एयरो इंडिया’ में अमेरिका की भागीदारी अहम है। उन्होंने कहा अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का आकार दिखाता है कि US-भारत रणनीतिक साझेदारी हमारे सबसे महत्वपूर्ण संबंधों में से एक है। हम अंतरिक्ष उपकरणों से सेमीकंडक्टर तक टेक्नोलॉजी पर सहयोग को मजबूत कर रहे हैं।’ मालूम हो कि एयरो इंडिया में भाग लेने वाली अमेरिकी कंपनियों में बोइंग, जीई एयरोस्पेस, जनरल एटॉमिक्स एरोनॉटिकल सिस्टम्स इंक, लॉकहीड मार्टिन, प्रैट एंड व्हिटनी, टीडब्ल्यू मेटल्स, एलएलसी और यूनाइटेड परफॉर्मेंस मेटल्स शामिल हैं।