नई दिल्ली: अमेरिकी बैंकिंग संकट ने वहां की इकोनॉमी को हिला कर रखा दिया। सिलिक़ॉन वाली बैंक पर ताला लग गया। सिग्नेचर बैंक, फर्स्ट रिपब्लिक बैंक भी दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गए। अमेरिका के 189 बैंकों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। अमेरिका का बैंकिंग संकट भारत और एशियाई बाजार के लिए अच्छे संकेत दे रहा है। दरअसल अमेरिका में आए बैंकिंग संकट के बाद निवेशक अब भारतीय और एशियाई बाजार का रुख कर रहे हैं। अमेरिकी संकट के घबराए निवेशकों एशियाई बाजार को बेहतर मान रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि चीन और भारत जैसे बाजार संकट से निपटने में ज्यादा बेहतर और सक्षम हैं। एक तरफ अमेरिका के फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी निवेशकों को डरा रही हैं तो वहीं दूसरी ओर लगातार बढ़ रहे बैंकिंग संकट से निवेशकों का भोह भंग हो रहा है।
भारत,एशियाई बाजार का रूख कर रहे निवेशक
अमेरिका में जारी बैंकिंग संकट के कारण निवेशक अब अपना पैसा वहां से निकाल रहे हैं। निवेशकों का भरोसा भारत और एशियाई बाजार पर बढ़ रहा है। निवेशकों को भरोसा है कि भारत जैसे बाजार इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए ज्यादा बेहतर हैं। ग्लोबल फाइनेंशियल कंडीशन के सिटीबैंक के एक एनालिसिस से पता चला है कि एशियाई बाजारों में अमेरिका के मुकाबले कम सख्ती है। वहीं ज्यादातर एशियाई करेंसी डॉलर के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। एशियाई बाजार के शेयरों में तेजी देखने को मिल रही है। ग्लोबल क्राइसिस के बावजूद भारतीय बाजारों ने अच्छा प्रदर्शन किया है। अगर आंकड़ों को देखें तो मार्च के चार हफ्तों में एशियाई बाजार में 5.5 अरब डॉलर का निवेश आया है। जबकि विकसित देशों से 8.6 अरब डॉलर का निवेश निकाला गया है। अमेरिकी बाजारों की हिस्सेदारी इसमें सबसे अधिक है।
भारतीय बाजार की स्थिति बेहतर
अमेरिका के मुकाबले भारतीय बाजार की स्थिति मजबूत है। अगर एशियाई बाजार की तुलना अमेरिका से करें तो अमेरिकन बैंकिंग इंडेक्ट 10 मार्च से लेकर अब तक 10 फीसदी तक गिर चुका है। वहीं जापान को छोड़कर बाकी एशियाई रीजन के फाइनेंशियल इंडेक्स में तेजी देखने को मिली है। निवेशकों को भरोसा एशियाई बाजारों पर बढ़ रहा है। इतना ही नहीं निवेशकों को एशियाई बाजार की नरम नीतियों का लाभ भी मिल रहा है। भारत समेत एशिया के कई देशों के केंद्रीय बैंक अपनी नीतियों को नरम बना रहे हैं। भारत ही नहीं चीन ने भी अपनी मौद्रिक नीतियों को आकर्षित बनाया है, जिसके कारण निवेशकों का आकर्षण एशियाई बाजार की ओर बढ़ रहा है। अमेरिका और यूरोप के बाजारों में जारी संकट के कारण एशियाई बाजार निवेशकों की पहली पसंद बनता जा रहा है।