नई दिल्ली : चीन और भारतीय सेना के बीच हुई झड़प के बाद से अरुणाचल प्रदेश का तवांग एक बार फिर चर्चा में है. भारत-चीन के बीच सीमा विवाद की वजह से तवांग में भारतीय सेना के मिलिट्री वाहनों की आवाजाही ज्यादा रहती है. हालांकि, तवांग अपनी बेमिसाल खूबसूरती और बौद्ध मठों के लिए मशहूर है. यहां का प्राकृतिक सौंदर्य, बर्फीले पहाड़ और हरी-भरी वादियां सैलानियों का मन मोह लेती हैं. यहां पर एशिया का सबसे बड़ा मठ तवांग भी है. अपने बौद्ध मठों के लिए यह शहर पूरी दुनिया में पहचाना जाता है.
अरुणाचल प्रदेश के मुख्य आकर्षण में शामिल तवांग मठ (तवांग मोनेस्ट्री) को गोल्डन नामग्याल ल्हासे के नाम से भी जाना जाता हैं. यह मठ समुद्र तल से लगभग 3,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इसे भारत के सबसे बड़े और दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मठ का दर्जा प्राप्त है. यह करीब 400 साल पुराना है जो 300 से भी अधिक बौद्ध भिक्षुओं के आश्रय स्थल के रूप में जाना जाता है.
तवांग की झीलें इस शहर की खूबसूरती को और ज्यादा आकर्षक बनाती हैं. यहां नागुला लेक, सेला पास, माधुरी लेक, पांग्तेंग त्सो लेक (pangateng tso lake), हार्ट लेक, बंगा जांग लेक (Banga Jang Lake) जैसे कई लेक हैं जो सैलानियों के बीच काफी मशहूर हैं. तवांग की नदियां और झरने भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. बेहद शांत और सुंदर नदियों के पास अक्सर लोग घूमने-फिरने और पिकनिक मनाने के लिए आते हैं.
तवांग जाने के लिए सबसे अच्छा समय मार्च से सितंबर महीने का है क्योंकि ये जगह गर्मियों और मानसून में घूमने के लिए परफेक्ट है. लेकिन अगर आप बर्फबारी और बर्फ से ढके पहाड़ों का मजा लेना चाहते हैं तो आप यहां सर्दियों के मौसम में जाएं. हालांकि सर्दियों में यहां का तापमान एक से तीन डिग्री के आसपास रहता है.
तवांग पहाड़ी इलाका है और यहां कोई एयरपोर्ट या रेलवे स्टेशन नहीं है. सबसे नजदीकी एयरपोर्ट असम का तेजपुर है जो तवांग से करीब 317 किलोमीटर की दूरी पर है. आप तेजपुर से तवांग जा सकते हैं. हालांकि देश के अन्य हिस्सों से तवांग पहुंचने के लिए गुवाहाटी एयरपोर्ट ज्यादा बेहतर है जो तवांग से करीब 480 की किलोमीटर दूरी पर है. यहां से सड़क मार्ग से तवांग जा सकते हैं.