भोपाल : वैसे तो धर्म किसी व्यक्ति के लिए निजी आस्था का प्रश्न है लेकिन मध्य प्रदेश में सियासी नेताओं के लिए यह फिलहाल लोगों का दिल जीतने और इसके जरिये वोटों की ‘फसल’ काटने का जरिया बन गया है. खास बात यह है कि खुले तौर पर ‘हिंदू हित’ की बात करने वाली बीजेपी (BJP)को इस मामले में ‘धर्मनिरपेक्ष’ पार्टी कांग्रेस (Congress) बराबरी की टक्कर मिल रही है. देश की सबसे पुरानी पार्टी शायद समझ गई है कि चुनावी समर में बहुसंख्यक समाज के ज्यादा से ज्यादा वोट हासिल करने के लिए उसे भी खुद को ‘धार्मिक’ साबित करना होगा.मध्य प्रदेश में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव (MP Election 2023) में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना हैं.लोगों को फैसला कमल (बीजेपी के चुनाव चिह्न ) और कमलनाथ (कांग्रेस के सीएम पद के दावेदार) की बीच करना है, ऐसे में दोनों पार्टियां लोगों का विश्वास जीतने में कसर नहीं छोड़ रहीं.
सीएम शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) सहित तमाम बीजेपी नेता, जब-तब धर्मगुरु-बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) और कुबरेश्वर धाम के पंडित प्रदीप मिश्रा (Pandit Pradeep Mishra) के दरबार में हाजिरी लगाते रहे हैं, अब कमलनाथ (Kamal Nath) उन्हें टक्कर दे रहे हैं. बागेश्वर धाम सरकार (Bageshwar Dham Sarkar) को शिवराज सरकार ने ‘Y’ कैटेगरी की सुरक्षा दी है. बागेश्वर धाम सरकार हिंदू राष्ट्र की आवाज बुलंद करते रहे हैं. जवाब में कमलनाथ ने पिछले माह अपने क्षेत्र में बागेश्वर धाम की रामकथा कराई और इसमें पहुंचे भी थे. अब वे 5 से 9 सितंबर तक पंडित प्रदीप मिश्रा (सीहोर वाले) की कथा करा रहे हैं.
हर नेता खुद को ज्यादा धार्मिक साबित करने में जुटा
भव्य आयोजन के लिए 4 सितंबर को कमलनाथ के साथ पंडित मिश्रा छिंदवाड़ा पहुंचेंगे जहां सांसद नुकल नाथ उनकी अगवानी करेंगे. जाहिर है, मध्य प्रदेश में अभी सियासी नेताओं का ‘भक्तिकाल’ चल रहा है और हर कोई अपने को दूसरे से ज्यादा धार्मिक साबित करने में जुटा है. छिंदवाड़ा में बागेश्वर धाम की रामकथा के कमलनाथ के ‘धार्मिक दांव’ को बेअसर करने के लिए सीएम शिवराज सिंह ने छिंदवाड़ा पहुंचकर जामसांवली के हनुमान मंदिर में 314 करोड़ की लागत से हनुमान लोक बनाने का ऐलान किया था.
इस धार्मिक कवायद के सियासी मायने भी समझें
दरअसल, इस धार्मिक कवायद के सियासी मायने हैं. राज्य की 60 से अधिक सीटों पर बागेश्वर धाम और पंडित प्रदीप मिश्रा का काफी असर है. इनकी कथा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है, ऐसे में दोनों पार्टियों के शीर्ष नेता खुद को इन धर्मगुरुओं का करीबी साबित करना चाहते हैं. बागेश्वर धाम राज्य के बुंदेलखंड और पंडित मिश्रा भोपाल-सीहोर क्षेत्र से संबंध रखते हैं. संतों का लोगों पर खासा असर होता है, इसी कारण इन्हें बुलाकर राजनेता धार्मिक आयोजन कराते हैं. कथा के दौरान कई बार धर्मगुरु विभिन्न मुद्दों पर राय भी रखते हैं. ये सीधे तौर पर किसी पार्टी को वोट देने की अपील तो नहीं करते लेकिन राजनेताओं को उम्मीद होती है कि धर्मगुरुओं की ओर से ‘संकेत’ मिलने पर अनुयायियों के वोट एकमुश्त तौर उनके पक्ष में आ सकते हैं.
बता दें, 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनाने मे सफल रही थी.कांग्रेस को तब बहुमत से दो सीटें कम यानी 114 और बीजेपी को 109 सीटें मिली थी. ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद उनके समर्थक विधायकों की बगावत के कारण राज्य में 2020 में शिवराज सिंह के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ था.
मध्य प्रदेश में हैं 230 विधानसभा सीटें
मध्य प्रदेश में विधानसभा की 230 सीटें हैं और 116 सीट हासिल करने वाली पार्टी राज्य में सरकार बनाने में सफल होगी. बागेश्वर धाम के जबर्दस्त असर वाले बुंदेलखंड अंचल में मध्यप्रदेश के 5 जिले शामिल हैं जिसमें 26 विधानसभा सीटें हैं. राज्य की सत्ता में वापसी के लिए बुंदेलखंड की सीटें अहम हैं, इसी कारण दोनों नेता, बागेश्वर सरकार का ‘आशीर्वाद’ लेने जा रहे हैं.2018 के विधानसभा चुनाव में बुंदेलखंड की 26 सीटों में से 17 बीजेपी ने और सात कांग्रेस ने जीती थी. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के खाते में एक-एक सीट आई थी.बाद में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का तख्तापलट होने के बाद SP विधायक राजेश शुक्ला ने बीजेपी का दामन थाम लिया था.
दूसरी ओर शिवकथा सुनाने वाले पंडित मिश्रा भोपाल संभाग से आते हैं.यहां की 25 सीटों में से अभी बीजेपी की 17 और कांग्रेस की 8 सीटें हैं. जून माह में भोपाल में हुई पंडित प्रदीप मिश्रा की शिवकथा में सीएम शिवराज सिंह भी पहुंचे थे.
महाकौशल,मालवा-निमाड़ और ग्वालियर-चंबल में चमकी थी कांग्रेस
2018 के विधानसभा चुनाव में बुंदेलखंड, विंध्य और भोपाल संभाग में जहां बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया था, वहीं ग्वालियर-चंबल, महाकौशल और मालवा-निमाड़ अंचल में कांग्रेस का प्रदर्शन दमदार रहा था. महाकौशल में 2018 के चुनाव में बीजेपी को 13 और कांग्रेस को 24 सीटें मिली थीं जबकि एक पर अन्य का कब्जा रहा था.इस जोन में 8 जिले आते हैं. इनमें जबलपुर, कटनी, डिंडौरी, मंडला, नरसिंहपुर, बालाघाट, सिवनी और छिंदवाड़ा शामिल हैं.वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों में मालवा-निमाड़ की 66 सीटों में से कांग्रेस ने 35 सीटों पर दर्ज की थी. बीजेपी को केवल 28 सीटें मिली थीं.ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में कांग्रेस ने बंपर जीत हासिल करते हुए 34 में से 26 सीटों पर कब्जा जमाया था.
पंडोखर धाम पर भी हाजिरी लगाते हैं राजनेता
बागेश्वर धाम और पंडित प्रदीप मिश्रा की ही तरह ग्वालियर संभाग के दतिया जिले के पंडोखर धाम में भी सियासी पार्टियों के नेता और मंत्री हाजिरी लगाते रहे हैं. हालांकि यह सिलसिला पिछले कुछ वर्षों में कुछ कम हुआ है. माना जाता है कि पंडोखर धाम भी बागेश्वर धाम की तरह पर्ची निकालकर किसी के भविष्य के बारे में बताने की क्षमता रखते हैं.दतिया जिले के एक गांव पंडोखर में हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे पंडोखर धाम कहते हैं. 1992 से पंडोखर धाम की गद्दी संभाल रहे पंडोखर सरकार का वास्तविक नाम गरुशरण शर्मा है.हालांकि नाम का खुलासा उन्होंने नहीं किया. पंडोखर सरकार ने वर्ष 2018 में अपनी सियासी महत्कांक्षा उजागर करते हुए ‘सांझी विरासत पार्टी’ बनाने का ऐलान भी किया था.