नई दिल्ली: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना फिलहाल भारत की शरण में हैं. ब्रिटेन ने उन्हें शरण की अनुमति नहीं दी है. अमेरिका ने उनका वीजा रद्द कर दिया है. अब उनकी नजर यूरोपीय देशों पर है. मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वो नॉर्वे से बात कर रही हैं. शरण देने की बात हो या नागरिकता की, भारत हमेशा मदद के लिए तैयार रहा है, लेकिन नियमों की पाबंदियां भी रही हैं. अब सवाल उठता है कि अगर बांग्लादेश का कोई नागरिक भारत में शरण लेना चाहता है या यहां का नागरिक बनना चाहता तो यह कैसे संभव होगा.
गृह मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं, पिछले 5 साल में भारत ने विदेश से आए 5,220 लोगों को नागरिकता दी है, इसमें मुस्लिम समेत कई धर्म के लोग रहे हैं. इन आंकड़ों में बांग्लादेश के 116 लोग शामिल हैं जिन्हें भारतीय नागरिकता मिली है.
कैसे किसी विदेशी को भारत में मिलती है शरण?
भारत में किसी भी देश के आम इंसान को शरण युनाइटेड नेशंस हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजी (UNHCR) के जरिए मिलती है. यह संयुक्त राष्ट्र की रिफ्यूजी एजेंसी है, जिसकी ऑफिशियल वेबसाइट से आवेदन करना पड़ता है. जांच और सवाल-जवाब के बाद तय होगा कि उन्हें शरण दी जाएगी या नहीं.
अगर किसी विदेशी को लगता है कि उसकी सुरक्षा को खतरा है और अपने देश नहीं लौटना चाहता है, तो वो भारत में शरण ले सकता है. इसके लिए UNHCR वेबसाइट पर जाना होगा. रजिस्ट्रेशन के बाद वेरिफिकेशन करना होगा. इस पूरी प्रक्रिया में परिवार के सभी सदस्यों की जानकारी दी जाती है और शरण का लेने का कारण भी बताना होगा.
रजिस्ट्रेशन के बाद कैंडिडेट का इंटरव्यू होगा और उन्हें पहचान के तौर पर कुछ दस्तावेज दिखाने होंगे. जैसे- पासपार्ट, पहचान पत्र, मैरिज सर्टिफिकेट या आधार जैसा कोई नेशनल आइडेंटिटी डॉक्यूमेंट.
भारत में नागरिकता पाने के क्या हैं नियम?
देश में नागरिकता, सिटीजनशिप एक्ट ऑफ 1955 (संशोधित) के तहत दी जाती है. सिटीजनशिप पाने के कई तरीके हैं. पहला, नागरिकता के आधार पर. दूसरा, वंश के आधार पर. तीसरा, रजिस्ट्रेशन के आधार पर. चौथा नेचुरलाइजेशन और पांचवा CAA के आधार पर. अब एक-एक करके पांचों तरीकों को समझते हैं.
1- अगर 26.1.1950 या उसके बाद कोई इंसान भारत में पैदा हुआ है तो वो भारतीय है. इसके अलावा 1 जुलाई 1987 के बाद भारत में जन्मा कोई भी इंसान भारतीय नागरिक कहा जाएगा, अगर जन्म के समय उसके माता या पिता भारतीय नागरिक थे. इसके साथ यह शर्त भी जुड़ी है कि उसके माता या पिता में से किसी को भी अवैध प्रवासी नहीं होना चाहिए.
2- वंश के आधार पर उसे नागरिकता मिलेगी जब शख्स का जन्म भारत के बाहर हुआ तो और माता-पिता में से कोई भारतीय हो. नियम यह भी है कि विदेश में जन्मे उस बच्चे का पंजीकरण भारतीय दूतावास में एक वर्ष के भीतर कराना अनिवार्य होगा, तभी नागरिकता की प्रक्रिया मान्य होगी.
3- अगर कोई अवैध प्रवासी नहीं है, लेकिन वो भारतीय मूल का इंसान रहा है और आवेदन से 7 साल पहले तक भारत में रह चुका है तो वो नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है.
4- नेचुरलाइजेशन के आधार पर नागरिकता तब मिलती है जब कोई शख्स यह वचन देता है कि भारत की नागरिकता हासिल करने के बाद वह अपने देश की सिटीजनशिप छोड़ देगा. या फिर गृह मंत्रालय में नागरिकता के लिए एप्लिकेशन देने से लगातार 12 महीने पहले वो भारत में रहा हो या भारत सरकार से जुड़ा रहा हो.
5- पांचवा तरीका है CAA के जरिए नागरिकता हासिल करने का. इसके जरिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, पारसी, बौद्ध, जैन और ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता दी जाती है. 2014 से पहले भारत में रह रहे ऐसे गैर मुस्लिम शरणार्थी इसके पात्र होंगे. इसके लिए उन्हें ऑनलाइन आवेदन करना होगा.