रायपुर: होड़ एक दूसरे को पछाड़ आगे निकलने की ठीक है लेकिन इस हद तक कि वोटिंग के तीन दिन पहले मतदाताओं को ये न मालूम हो कि जो चुनाव में दावेदार हैं, उनके घोषणापत्र में क्या है, ये भारतीय राजनीति ही में मुमकिन है. छत्तीसगढ़ में पहले चरण का मतदान 7 तारीख़ को है लेकिन आज दोपहर तलक बीजेपी और कांग्रेस पहले-आप, पहले-आप वाले मोड में थे. इसलिए कि बाद में मैनिफेस्टो रिलीज़ करने वाला कहीं बढ़त न ले जाए. ख़ैर, आज भारतीय जनता पार्टी ने असमंजस की स्थिति को तोड़ा. गृहमंत्री अमित शाह राजधानी रायपुर पार्टी का घोषणा पत्र, जिसे पार्टी संकल्प पत्र कहती है, वह लेकर पहुंचे. कहा, इसमें कानून व्यवस्था से लेकर विकास तक की सारी बातें हैं.
बीजेपी के घोषणा पत्र समिति के संयोजक थे विजय बघेल. उन्होंने बताया 3 अगस्त से 3 नवम्बर के बीच इसे तीन महीने में तैयार किया गया है. इसमें 35 सदस्य थे. और 2 लाख से ज़्यादा सुझाव को मथ कर इसके एजेंडा को फाइनल किया गया है. बीजेपी के ‘संकल्प पत्र’ की बड़ी बातें जो थी. उनमें विवाहित महिला को हर साल 12 हजार रुपए, तेंदूपत्ता की 5500 रुपए प्रति बोरे खरीदी, 500 रुपये में गैस कनेक्शन, गरीब लोगों को रामलला दर्शन योजना का वादा है. बीजेपी के मैनिफेस्टो पर विस्तार से बातचीत, सुनिए ‘दिन भर’ में.
ये तो बात हुई एक दल के मैनिफेस्टो की. राजनीतिक दल जब चुनावों में व्यस्त थे. इसी समय इन दलों को मिलने वाले चंदे का हिसाब-किताब सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था. इलेक्टोरल बॉन्ड की वैधता पर बीते तीन दिन ऊपरी अदालत में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, बीआर गवई, जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनवाई के बाद कल अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. 2018 में सरकार इलेक्टोरल बॉन्डस को फाइनेंस एक्ट के ज़रिए लेकर आई. दावा था कि इससे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ेगी. कानून में व्यवस्था है कि कोई भी आम शख़्स या कॉरपोरेट कंपनी या संस्थाएं बॉन्ड खरीदकर राजनीतिक दलों को चंदे के तौर पर दे सकती हैं और फिर वे इसे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में भुना लेंगे.
लेकिन कुछ संस्थाओं ने ऐतराज़ जताया कि यह स्कीम इनडायरेक्ट ब्राईबरी यानी अप्रत्यक्ष तौर पर रिश्वत की तरह है. जहां सिर्फ़ रूलिंग पार्टी को यह मालूम होता है कि किसको कितना चंदा मिला. ना तो जनता, ना ही विपक्ष जान पाता है कि ये पैसा कौन दे रहा है. अब सुप्रीम कोर्ट में ये कानून दुरुस्त है या नहीं, इस पर सुनवाई पूरी हो चुकी है. तीन दिनों तक चली सुनवाई में किस पक्ष की क्या दलीलें रहीं, सुनिए ‘दिन भर’ में.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिस केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी, इंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट को टिड्डी दल कहा था. वह आज फिर से एक मामले के सिलसिले में राजस्थान पहुंची. राजस्थान में भी इसी महीने 25 तारीख़ को विधानसभा चुनाव की वोटिंग होनी है.