नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 हरियाणा में दिलचस्प है। सभी सीटों पर कड़ा मुकाबला है। 2019 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने क्लीन स्वीप किया था। सभी 10 सीटों पर कमल खिला था। मोदी लहर का असर यह था कि सोनीपत से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और रोहतक से बेटे दीपेंद्र हुड्डा को हार का सामना करना पड़ा था।
मगर इस चुनाव में सियासी समीकरण किसके पक्ष में होंगे, यह खुलासा तो चार जून को ही होगा। मगर इस बीच आज बात करेंगे पिछले तीन लोकसभा चुनावों की…कब किस दल ने कितनी सीटों पर मारी बाजी और कैसा रहा 2019 का लोकसभा चुनाव।
रोहतक में सबसे कम था हार-जीत का अंतर
2019 में हरियाणा में भाजपा की लहर 2014 से अधिक थी। पांच लोकसभा सीटों पर पार्टी ने तीन लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी। भाजपा ने सबसे कम मतों से रोहतक सीट जीती थी। यहां अरविंद शर्मा ने दीपेंद्र हुड्डा को सिर्फ 7503 मतों से हराया था। करनाल लोकसभा सीट पर भाजपा के संजय भाटिया ने देश की दूसरी सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी। फरीदाबाद से केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने भी छह लाख से अधिक मतों से चुनावी रण जीता था।
2024 में इन सीटों पर भाजपा ने बदले चेहरे
रतन लाल कटारिया के निधन के बाद भाजपा ने इस बार अंबाला से उनकी पत्नी बंतो कटारिया को टिकट दिया। उधर, नायब सैनी के सीएम बनने के बाद कुरुक्षेत्र सीट पर उद्योगपति नवीन जिंदल को उतारा। पार्टी ने करनाल से मौजूदा सांसद संजय भाटिया का टिकट काटा। इसके बाद पूर्व सीएम मनोहर लाल ने यहां चुनाव लड़ा।
सिरसा में सुनीता दुग्गल की जगह अशोक तंवर को प्रत्याशी बनाया। बृजेंद्र सिंह के कांग्रेस में जाने के बाद हिसार सीट पर रणजीत सिंह चौटाला पर दांव खेला। सोनीपत सीट पर भी भाजपा ने चेहरा बदला और राई विधायक मोहनलाल बड़ौली को प्रत्याशी बनाया।
2009 में नहीं खुला था भाजपा खाता
2009 लोकसभा चुनाव में भाजपा का हरियाणा में खाता नहीं खुला था। नौ लोकसभा सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था। वहीं एक सीट पर हरियाणा जनहित पार्टी ने जीत दर्ज की थी। 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने सात, इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) दो और कांग्रेस ने सिर्फ रोहतक सीट पर जीत दर्ज की थी।