रांची: झारखंड की राजधानी रांची के बरियातू में 8.42 एकड़ जमीन घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया है. ईडी ने यह एक्शन 8 महीने की गहन जांच के बाद लिया. गिरफ्तारी की वजह से हेमंत को मुख्यमंत्री की कुर्सी भी गंवानी पड़ी.
सूत्रों के मुताबिक, बुधवार (31 जनवरी) को ईडी ने हेमंत सोरेन से करीब 8 घंटे की लंबी पूछताछ की. इस दौरान हेमंत सोरेन ने कई सवालों के जवाब संतोषजनक तरीके से नहीं दिए, जिसके बाद अधिकारियों ने उन्हें गिरफ्तार करने का फैसला किया. हेमंत सोरेन ने दावा किया कि ईडी ने उन्हें मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए गिरफ्तार किया. जांच एजेंसी के मुताबिक हेमंत की गिरफ्तारी रांची सदर थाने में दर्ज ECIR RNZO/25/23 के आलोक में की गई है.
ईडी के हत्थे कैसे चढ़े हेमंत सोरेन?
ईडी सूत्रों के मुताबिक आर्मी लैंड की जांच के दौरान रांची के बड़गाईं अंचल के बरियातू इलाके के कुछ ग्रामीणों ने जांच एजेंसी को आवेदन दिया. ग्रामीणों का कहना था कि उनके इलाके की 8.42 एकड़ जमीन पर हेमंत बाबू ने कब्जा कर लिया है.
ग्रामीणों का आरोप था कि यह जमीन भूंइहर है, जिसकी खरीद-बिक्री नहीं हो सकती. इसके बावजूद 2010 से हेमंत सोरेन इस पर कब्जा जमाए हुए हैं. ग्रामीणों का कहना था कि उन्होंने पहले भी इसकी शिकायत की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
शिकायत लेने के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने जांच शुरू की. ईडी अधिकारियों ने सबसे पहले इलाके के राजस्व उपनिरिक्षक भानुप्रताप प्रसाद के घर रेड डाली. इसी छापेमारी में जांच एजेंसी को शिकायती जमीन से जुड़े कुछ कागजात मिले.
भानु के बयान और चैट से हेमंत सीधे रडार पर आए
अप्रैल 2023 में सहायक निदेशक देवव्रत झा के नेतृत्व में ईडी की एक टीम ने भानु प्रताप से पूछताछ शुरू की. इस लंबी पूछताछ में भानु ने कहा कि बरियातू अंचल के खाता संख्या 221, 210, 109, 234 और 223 नंबर की जो जमीन है, उस पर हेमंत सोरेन का कब्जा है.
भानु ने आगे कहा कि 8.42 एकड़ की यह जमीन कुल 12 हिस्सों में बंटी है और इस जमीन पर एक आउट हाउस और छोटा सा गार्ड रूम है. भानु के मुताबिक इस जमीन की मापन और घेराबंदी के लिए उन्हें अंचलाधिकारी से आदेश आया था. भानु ने खुलासा करते हुए कहा कि इस जमीन के वैरिफिकेशन के लिए उन्हें मुख्यमंत्री आवास के एक अधिकारी उदय शंकर का भी फोन आया था. उदय शंकर मुख्यमंत्री के सलाहकार अभिषेक पिंटू की टीम में थे.
ईडी के सूत्रों के मुताबिक भानु प्रताप के मोबाइल से भी कुछ चैट मिले, जिसमें बॉस के नाम का एक मैसेज था. ईडी ने इसके बाद स्थानीय अंचलाधिकारी मनोज गुप्ता से पूछताछ की. वहीं मुख्यमंत्री आवास के अधिकारी उदय शंकर के आवास पर भी ईडी ने छापेमारी की थी.
भानु पर एफआईआर बनी ‘जी का जंजाल’
राजस्व उपनिरीक्षक भानु से पूछताछ के बाद ईडी ने राज्य को संबंधित मामले में मुकदमा दाखिल करने के लिए कहा. मामले में जल्दबाजी दिखाते हुए झारखंड पुलिस ने एफआईआर दर्ज भी कर दी. यह एफआईआर रांची के सदर थाने में दर्ज की गई थी.
ईडी सूत्रों के मुताबिक अगर एफआईआर नहीं होती तो ईडी इस मामले की जांच ठीक ढंग से नहीं कर पाती और न ही मामले का कोई आधार बन पाता. एफआईआर ने ही हेमंत की मुश्किलें बढ़ाईं. ईडी का सूत्रों का कहना है कि एफआईआर करने में भी चालाकी की गई. एफआईआर से धारा 120बी को हटा दिया गया, लेकिन प्रिवेंशन एक्ट के तहत ईडी ने इस एफआईआर को टेकल कर लिया.
ईडी सूत्रों के मुताबिक भानु के अलावा निलंबित आईएएस पूजा सिंघल और रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन मामले में भी एफआईआर करने की अनुशंसा सरकार को भेजी गई थी, लेकिन एफआईआर सिर्फ भानु मामले में ही दर्ज की गई.
ट्रेसिंग सिस्टम से हेमंत के खिलाफ सबूत जुटाए
ईडी सूत्रों के मुताबिक ट्रेस कर यह सबूत जुटाया गया कि हेमंत विवादित जमीन पर कभी आए हैं या नहीं? इसके लिए जांच एजेंसी ने कई सिक्योरिटी अफसर से भी पूछताछ की.
जांच से जुड़े एक अधिकारी ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि ट्रेसिंग के दौरान यह जानकारी मिली कि कभी-कभी रात को हेमंत सोरेन विवादित जमीन पर बने आउट हाउस में जाते थे. इस सबूत के मिलने के बाद ईडी ने अगस्त 2023 में हेमंत सोरेन को पहला समन भेजा. इसके बाद करीब हेमंत को 8 समन भेजे गए.
हेमंत सोरेन ने पूरे मामले में क्या कहा?
ईडी की गिरफ्तारी से पहले हेमंत सोरेन ने एक वीडियो जारी किया. हेमंत के मुताबिक, ”जमीन मामले में ईडी को कोई सबूत नहीं मिले, लेकिन फिर भी ईडी ने मुझ पर एक्शन लेने का फैसला किया है.” उन्होंने दावा किया, ”इस पूरे मामले में फर्जी शिकायत और जाली कागज बनाकर मुझे फंसाया गया है. यह षड्यंत्र कहीं और से किया गया है.”
वीडियो में हेमंत आगे कहते हैं, ”इस लड़ाई की जीत में समय लगेगा, लेकिन आखिर में हम ही जीतेंगे. सत्य कभी नहीं हारता है और मैं सत्य की लड़ाई आखिरी वक्त तक लड़ता रहूंगा.”
ईडी अधिकारियों की मजबूत फिल्डिंग
सूत्रों के मुताबिक जमीन घोटाले में नाम आने पर ईडी अधिकारियों की मजबूत फिल्डिंग लगाई गई. जांच का पूरा जिम्मा सहायक निदेशक स्तर के अधिकारी कर रहे थे. जांच की निगरानी ईडी के रांची जोन के प्रमुख पर थी.
जांच में कोई बाधा न आए, इसके लिए रांची जोन के प्रमुख को एक साल का कार्यकाल भी दिसंबर 2023 में बढ़ाया गया था. ईडी अक्टूबर में ही हेमंत सोरेन पर एक्शन लेना चाह रही थी, लेकिन 5 राज्यों के चुनाव की वजह से इसे थोड़े दिन के लिए टाल दिया गया