नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का फॉर्मूला तय हो गया है. इसके साथ कई दिनों से जारी खींचतान भी भी खत्म हो गई है. सीट शेयरिंग फॉर्मूला के तहत भारतीय जनता पार्टी (BJP) सबसे ज्यादा 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि जनता दल यूनाइटेड (JDU) 16 सीट पर उम्मीदवार उतारेगी.
वहीं, गठबंधन में शामिल लोकजन शक्ति पार्टी (रामविलास) 5 सीट और हिंदुस्तानी आवामी मोर्चा और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा 1-1 सीट पर चुनाव लड़ेगी. वहीं, पशुपति पारस को एक भी सीट नहीं मिली.
‘गठबंधन में देनी होती है कुर्बानी’
सीट शेयरिंग के बाद चिराग पासवान ने कहा कि जब कोई गठबंधन बनता है तो हर दल को कुछ समझौते करने पड़ते हैं, सभी को कुछ न कुछ कुर्बानियां देनी पड़ती हैं. मुझे भी अपनी 1 सीट कम करनी पड़ी. जेडीयू ने भी अपनी 1 सीट कम की. हर किसी ने किया. बीजेपी तो 2019 से ही कुर्बानी दे रही है.चिराग ने बताया कि वह हाजीपुर से ही चुनाव लड़ेंगे.
हाजीपुर सीट को लेकर अड़े थे पारस
माना जा रहा है पशुपति पारस और चिराग पासवान दोनों हाजीपुर सीट मांग रहे थे. हालांकि, यह सीट चिराग के खाते में आई और पशुपति पारस को दरकिनार कर दिया गया. कहा जा रहा है कि पशुपति पारस हाजीपुर सीट को लेकर अड़े हुए थे.
‘चाचा की जिम्मेदारी थी पार्टी को एकजुट रखना’
चिराग ने कहा, “मेरा पिता (रामविलास पासवान) के जाने के बाद परिवार की जिम्मेदारी चाचा पशुपति पारस की थी और वह ही परिवार के मुखिया थे. ऐसा नहीं है कि इससे पहले कभी पार्टी पर संकट नहीं आया है, लेकिन मेरे पिता ने हमेशा पार्टी को एकजुट रखने की कोशिश की. ऐसे में मेरे पिता के निधन के बात चाचा जी को यह जिम्मेदारी निभानी थी कि पार्टी न टूटे.
हाजीपुर सीट बिहार की हाई प्रोफाइल सीट मानी जाती है, क्योंकि रामविलास पासवान यहां से 9 बार सांसद रहे हैं. हाजीपुर सीट से रामविलास पासवान की पहचान जुड़ी हुई है. उनके निधन के बाद हाजीपुर की सीट को लेकर चाचा पशुपति पारस और चिराग पासवान ने दावा ठोक दिया.