नई दिल्ली: पाकिस्तान में 8 फरवरी को आम चुनाव होंगे। देश के चुनाव आयोग (ईसीपी) ने बुधवार को संभावित उम्मीदवारों से नामांकन पत्र स्वीकार करना शुरू कर दिया है। इसके साथ आगामी आम चुनावों की प्रक्रिया शुरू हो गई है। शीर्ष चुनाव निकाय ने कहा कि उम्मीदवार सुबह साढ़े आठ बजे से शाम 4.30 बजे तक ईसीपी से फॉर्म प्राप्त कर सकते हैं और 22 दिसंबर तक अपने नामांकन पत्र को जमा कर सकते हैं।
यूं तो पाकिस्तान और भारत के चुनाव की प्रक्रिया में बहुत अधिक अंतर नहीं है क्योंकि दोनों ही जगह ज्यादातर कानूनों में अंग्रेजों के बनाए कानून की झलक दिखाई देती है। लेकिन फिर भी भारत की तुलना में पाकिस्तान का चुनावी सिस्टम थोड़ा अलग है। पाकिस्तान में चुनाव कैसे कराया जाता है और वहां कितनी प्रांतीय और संसदीय सीटें हैं आइए आपको पूरा सिस्टम बताते हैं।
भारत की तरह ही पाकिस्तान में संसद के दो सदन हैं। भारत में पार्लियामेंट को संसद कहा जाता है, जबकि पाकिस्तान की पार्लियामेंट को मजलिस-ए-शूरा कहा जाता है। भारतीय संसद के निचले सदन को लोकसभा और ऊपरी सदन को राज्यसभा कहते हैं। जबकि, पाकिस्तान के निचले सदन को नेशनल असेंबली और ऊपरी सदन को सीनेट कहते हैं। नेशनल असेंबली को उर्दू में कौमी इस्म्ब्ली और सीनेट को आइवान-ए-बाला कहा जाता है।
महिलाओं के 60 सीटें रिजर्व
भारत की लोकसभा में 545 सदस्य होते हैं। इसमें 2 नामित होते हैं। वहीं, पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में 342 सीटें होती हैं। लेकिन 272 सदस्यों को ही प्रत्यक्ष तौर पर चुना जाता है। नेशनल असेंबली में 10 अल्पसंख्यक और 60 सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व होती हैं।
इन 70 रिजर्व सीटों पर मतदान आनुपातिक प्रतिनिधित्व नियम के मुताबिक होता है। मतलब जो पार्टी 272 सीटों पर जितनी ज्यादा सीट हासिल करेगी, उसे इन 70 सीटों में उतनी ही ज्यादा सीटें मिलेगी। पाकिस्तान में किसी भी पार्टी को चुनाव जीतने के लिए 272 में से 137 सीट जीतनी होती हैं।
भारत में राज्यसभा में 250 सीटें होती हैं, जिनमें से 12 सदस्यों को राष्ट्रपति नामित करते हैं। वहीं, पाकिस्तान में ऊपरी सदन यानी सीनेट में 104 सीटें होती हैं। पाकिस्तान की सीनेट का चुनाव राज्यसभा चुनाव की तरह ही होता है। यहां हर प्रांतीय असेंबली यानी विधानसभा 23-23 सदस्यों का चुनाव करते हैं। सीनेट के सदस्यों का कार्यकाल 6 साल का होता है। यह कभी भंग नहीं होती और इसके सदस्य बदलते रहते हैं।
14 दिनों के अंदर परिणाम जरूरी
भारत में जो पार्टी सबसे ज्यादा सीटें जीतती है, वह विजेता होती है। पाकिस्तान में भी ऐसा ही होता है। वहां भी पार्टी को पर्याप्त सीट न मिलने पर गठबंधन कर बहुमत साबित करना होता है। भारत में ईवीएम से वोटिंग होती है, जबकि पाकिस्तान में बैलेट पेपर से चुनाव होते हैं। पाकिस्तान में चुनाव खत्म होने के 14 दिनों के भीतर परिणाम आना जरूरी है।
दोनों सदनों में एक साथ चुनाव
पाकिस्तान में नेशनल असेंबली और प्रांतीय चुनाव एक साथ कराए जाते हैं। पाकिस्तान में 4 बड़े प्रांत- पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा, सिंध, बलूचिस्तान हैं। जबकि दो क्षेत्र- FATA और इस्लामाबाद कैपिटल टेरिटरी हैं।
पंजाब में सबसे अधिक सीट
जनसंख्या के लिहाज से पंजाब सबसे बड़ा प्रांत है। पंजाब में 141 सीटें हैं, खैबर पख्तूनख्वा में 39, सिंध में 61, बलूचिस्तान में 16 सीटें हैं। इसके अलावा FATA में 12 और इस्लामाबाद कैपिटल टेरिटरी में 3 सीटें हैं। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और बाल्टिस्तान व गिलगित में चुनाव नहीं कराए जाते हैं।