नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति जेडी वेंस चार दिन के भारत दौरे पर हैं। भारत सरकार उनकी पूरी खातिरदारी कर रही है। वेंस अक्षरधाम मंदिर के अलावा जयपुर-आगरा सहित कई शहरों में जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके सम्मान में आज रात डिनर भी देंगे। पिछले दिनों अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ को लेकर दुनिया में काफी हलचल रही और इसका असर एशिया के शेयर बाजारों पर भी देखने को मिला। हालांकि विरोध के बाद अमेरिका ने 90 दिनों तक टैरिफ पर रोक लगा दी।
ऐसे में समझना जरूरी है कि वेंस का दौरा भारत के लिए कितना जरूरी है?
ट्रंप की ओर से reciprocal tariffs लगाए जाने के ऐलान के बाद सबसे बड़ा सवाल यही खड़ा हुआ था कि इसका भारत पर कितना असर होगा? हालांकि इस पर अस्थायी रोक लगा दी गई है लेकिन भारत सरकार भी इसे लेकर अपनी तैयारियों में जुटी हुई है और ऐसा माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जेडी वेंस की मुलाकात के दौरान बाकी तमाम मुद्दों के साथ ही व्यापक समझौता, टैरिफ के मुद्दे पर भी चर्चा हो सकती है।
वेंस की भारत यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश सचिव विक्रम मिस्री सहित भारत के तमाम बड़े नेता और अफसर भी भारत का पक्ष रखने के लिए मौजूद रहेंगे।
याद दिलाना होगा कि अमेरिका ने हाल ही में धमकी दी थी कि अगर ट्रंप द्वारा लगाई गई 90 दिनों की रोक को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ तो वह भारतीय निर्यात पर 10% टैरिफ को बढ़ाकर 26% कर देगा। बताना होगा कि ट्रंप ने भले ही बाकी देशों के लिए टैरिफ पर 90 दिनों की रोक लगा दी हो लेकिन चीन के साथ उसने लड़ाई को जारी रखा है और दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ टैरिफ की दरों में लगातार बढ़ोतरी कर रहे हैं।
केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में The Indian Express को बताया गया था कि global trade tensions और reciprocal tariffs को लेकर सरकार ने आकलन किया है और इसमें भारत में आने वाले सामान की डंपिंग को लेकर चिंता जताई गई है। सरकार के मुताबिक, अमेरिका में बढ़ती लागत के कारण चीन, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देश भारत को अपना सामान भेज सकते हैं। यह ऐसे देश हैं जो अमेरिका के व्यापार घाटे का सामना कर रहे हैं। अगर इन देशों ने माल भेजा तो निश्चित रूप से भारत में आयात बढ़ जाएगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने हाल ही में कहा था कि वेंस की यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका के बीच सभी जरूरी मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, जिससे द्विपक्षीय संबंधों के और मजबूत होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा था कि हम अमेरिकी पक्ष से बातचीत कर रहे हैं ताकि द्विपक्षीय व्यापार समझौता किया जा सके। इस तरह भारत ने साफ कर दिया था कि उसे वेंस के दौरे से बहुत उम्मीदें हैं।
मोदी और ट्रंप के हैं अच्छे संबंध
टैरिफ को लेकर चल रहे तनाव के बीच यह भी ध्यान में रखना जरूरी होगा कि ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच लंबे समय से अच्छे संबंध हैं। ट्रंप की ओर से reciprocal tariff का ऐलान किए जाने से पहले ही भारत ने केंटकी बॉर्बन और हार्ले-डेविडसन इंक मोटरसाइकिलों सहित कुछ और अमेरिकी उत्पादों पर अपना शुल्क घटा दिया था।
फरवरी में ट्रंप और पीएम मोदी की शिखर बैठक के बाद, भारत ने अमेरिका के साथ अपने 47.7 अरब डॉलर के trade surplus (व्यापार अधिशेष) को कम करने के लिए कच्चा तेल, तरलीकृत प्राकृतिक गैस (liquefied natural gas) और उच्च तकनीक वाले हथियार खरीदने पर सहमति जताई थी। पीएम मोदी ने ट्रंप की अवैध प्रवासियों को निर्वासित करने की नीति का भी समर्थन किया था।
वैष्णव ने किया था समझौते का समर्थन
पीएम मोदी की व्हाइट हाउस यात्रा के दौरान दोनों नेताओं ने कहा था कि वे इस साल द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने की योजना बना रहे हैं। इसे लेकर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि प्रधानमंत्री से लेकर बाकी लोगों की भी यही मानना है कि हमें ट्रंप प्रशासन के साथ समझौता करना होगा और यह इसलिए करना होगा क्योंकि समझौते के बिना द्विपक्षीय संबंध और उससे जुड़ी संभावनाओं के लिए रास्ते नहीं खुल सकते।