नई दिल्ली : पहले दिल्ली में सत्ता में आए. फिर पंजाब में छाए. फिर हिमाचल और गुजरात चुनाव में भी कूदे और अब मध्यप्रदेश और बाकी राज्यों के लिए भी तैयारी में लगे हैं. अन्ना आंदोलन से चर्चा में आए अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली जैसे छोटे राज्य में आम आदमीबन कर राजनीति शुरू की थी और अब राष्ट्रीय स्तर के ‘खास’ हो गए हैं. गोवा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश या गुजरात… आम आदमी पार्टी जिस भी नए राज्य में चुनाव लड़ रही है, वहां उसके पास पाने के लिए सारा आसमान है, जबकि खोने के लिए कुछ नहीं है.
पंजाब की तरह जीत गए तो बल्ले-बल्ले. एकाध सीटें मिलीं या वो भी नहीं जीते… तो भी कोई बात नहीं. पार्टी अपनी जमीन तो तलाश ही रही है. वोट परसेंटेज से अगली तैयारी का अंदाजा तो लग ही जाएगा. लेकिन बात यहीं तक सीमित नहीं है. आप चुनाव जीते या नहीं, उसकी धमक से कांग्रेस का जनाधार जरूर कम हो रहा है. आप के खाते में जो एंटी-बीजेपी वोट आ रहे हैं, वो कहीं न कहीं कांग्रेस के ही खाते से जा रहे हैं.
पंजाब में सत्ता की कुर्सी पर से कांग्रेस को धकेल कर उतारने वाली आम आदमी पार्टी, अन्य राज्यों में भी कांग्रेस की लुटिया डुबो रही है. गुजरात चुनाव का रिजल्ट देख लीजिए. आप यदि इसी तरह कांग्रेस को घाटा लगाती रही तो फायदा बीजेपी को पहुंचता रहेगा. और यही हाल रहा तो कांग्रेस के हाथ से छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्य भी निकल सकते हैं.
दिल्ली-पंजाब के बाद गुजरात में जमीन छीनी
गुजरात चुनाव परिणाम से बात शुरू करते हैं. यहां 52.5 फीसदी वोट पाकर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी. सीटें मिली 156. कांग्रेस 77 से घटकर 17 सीटों पर पहुंच गई. वोट शेयर रहा- 15 फीसदी. आम आदमी पार्टी को मिले- 12.9 फीसदी वोट. 5 सीटें भी मिलीं. दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस से सत्ता छीनने वाली आप ने यहां उसे मुकाबले से ही बाहर कर दिया. इस तरह महज 9 साल में राष्ट्रीय पार्टी बनने वाली आप ने अगले चुनाव के लिए अपनी जमीन तैयार कर ली है.
मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी खतरा
राजनीतिक जानकार और दिल्ली यूनिवर्सिटी में शिक्षक डॉ संतोष कुमार राय बताते हैं कि आप ने बीजेपी को कम नुकसान पहुंचाया है, जबकि कांग्रेस की जमीन ही सरका दी है. इस बात की संभावना प्रबल हो गई है कि मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में होनेवाले चुनाव में भी कांग्रेस को काफी हद तक नुकसान पहुंचा सकती है. आप इन राज्यों में कांग्रेस के लिए वोटकटवा साबित हुई तो इसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है.
राजस्थान में पिछले चुनाव में 58 सीटों पर हार-जीत का अंतर 5% से भी कम रहा था. मध्यप्रदेश में पिछले चुनाव में 70 से ज्यादा सीटों पर जीत का अंतर 5% से कम रहा था. जबकि राजस्थान में 18 सीटों पर यही हाल था. अगर आम आदमी पार्टी कुछ फीसदी वोट भी इधर-उधर करती है तो कांग्रेस के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है.
कांग्रेस के सामने आप की मजबूती
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में जनता के लिए काफी हद तक बिजली-पानी फ्री कर रखा है. महिलाओं के लिए बस में सफर फ्री है. स्कूलों और अस्पतालों में बेहतर व्यवस्था को भी वह अपनी उपलब्धि बताती रही है. इस तरह दिल्ली मॉडल दिखाकर अन्य राज्यों में भी लोगों का भरोसा जीतने की कोशिश में लगी है. यह अन्य पार्टियों, खासकर कांग्रेस के लिए चुनौती है.
आम आदमी पार्टी के पास नए राज्यों में नए चेहरे तैयार करने का विकल्प है. राज्य में नए सामाजिक समीकरण के अनुसार वो नए चेहरों पर दांव खेलती है. इससे एंटी इनकम्बेंसी का फायदा उसे मिलने की संभावना रहती है. अल्पसंख्यक वर्ग, जिसे मुख्यत: कांग्रेस का वोट बैंक माना जाता है, आप उसमें सेंधमारी कर रही है. अल्पसंख्यकों के बीच आप विकल्प बनके उभर रही है. जो अल्पसंख्यक बीजेपी को वोट नहीं देना चाहते, वो कांग्रेस के अलावा आप को भी वोट दे सकते हैं.