नई दिल्ली: कलावा जिसे मौली भी कहा जाता है. हिंदू धर्म में इसे कलाई पर बांधना काफी शुभ माना जाता है. यह नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करता है और ईश्वरीय आशीर्वाद का प्रतीक है. यज्ञ के दौरान इसे बांधने की परंपरा तो सदियों से चली आ रही है. साथ ही इसे रक्षा सूत्र या संकल्प के रूप में बांधे जाने की वजह का कई ग्रंथों में उल्लेख है.
कलावा कितनी बार लपेटना चाहिए?
तीन 3, पांच 5 या सात 7 बार लपेटना शुभ माना जाता है. इन संख्याओं का धार्मिक महत्व है.3 बार त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश और त्रिलोक स्वर्ग, पृथ्वी, पाताल.5 बार पंच तत्व आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी.7 बार सप्त ऋषि, सप्त लोक और सात फेरों का प्रतीक.
जब तक यह स्वयं टूट न जाए, तब तक पहनना शुभ होता है.यदि यह स्वाभाविक रूप से टूट जाए या खराब हो जाए, तो इसे बहते जल नदी, तालाब में प्रवाहित करना चाहिए.यदि कलावा किसी विशेष पूजा या अनुष्ठान के दौरान बांधा गया हो, तो इसे कम से कम 15 दिनों तक पहनना चाहिए.
कलावा बांधने के लाभ
नकारात्मक ऊर्जा से रक्षासौभाग्य और समृद्धि में वृद्धिआध्यात्मिक शक्ति और विश्वास में वृद्धिस्वास्थ्य और दीर्घायु का प्रतीक
कलावा बांधने के कारण और महत्व
रक्षा और सुरक्षा का प्रतीक कलावा को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है. इसे बांधने का मुख्य उद्देश्य नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नजर और बाधाओं से रक्षा करना है. ऐसा माना जाता है कि यह व्यक्ति के जीवन में शुभता लाता है और देवीदेवताओं की कृपा बनी रहती है.
पांच तत्वों का प्रतीक
कलावा को पांच बार लपेटना पंचतत्व पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश का प्रतीक है. यह संकेत देता है कि हम इन पांच तत्वों से बने हैं और इनकी रक्षा के लिए हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं.
धन और समृद्धि का प्रतीक
कलावा बांधने से घर में धन, सुख और समृद्धि आती है. इसे बांधने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इसे बांधने से व्यक्ति के मन को शांति मिलती है और आत्मविश्वास बढ़ता है. यह व्यक्ति के भीतर साहस और शक्ति का संचार करता है