नई दिल्ली: जून के आखिरी में अमरनाथ यात्रा की शुरुआत होने वाली है और यात्री 19 अगस्त तक बाबा बर्फानी के दर्शन कर सकेंगे.अब इसके लिए ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन की भी शुरुआत हो चुकी है और अमरनाथ जाने वाले यात्री सरस्वती धाम टोकन सेंटर से ऑफलाइन टोकन ले सकेंगे, जहां आधार के जरिए रजिस्ट्रेशन करवा सकेंगे. केदारनाथ की तरह अमरनाथ की यात्रा को भी मुश्किल यात्राओं में गिना जाता है.
ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कि अमरनाथ यात्रा कितनी मुश्किल है और यहां जाने के लिए कितने किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. साथ ही जानते हैं कि किन मुश्किलों का सामना करने के बाद यहां पहुंचा जाता है.
कहां है अमरनाथ गुफा?
अमरनाथ गुफा 3880 मीटर की ऊंचाई पर है. ये जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में है. अगर आसपास के बड़े शहरों से दूरी देखें तो अमरनाथ गुफा श्रीनगर से 140 किलोमीटर, पहलगाम से करीब 45-48 किलोमीटर और बालटाल से करीब 16 किलोमीटर दूरी पर है. अमरनाथ की यात्रा दो रास्ते से की जाती है. एक तो आप अनंतनाग जिले से 48 किलोमीटर वाले नुनवान-पहलगाम मार्ग के जरिए यहां जा सकते हैं या फिर गांदेरबल जिले से 14 किलोमीटर बालटाल मार्ग से जा सकते हैं.
कितना है अमरनाथ का ट्रैक?
ये तो आपको पता चल गया है कि अमरनाथ यात्रा के दो रूट हैं. अगर आप पहलगाम रास्ते से जाते हैं तो इसके लिए आपको करीब 45 किलोमीटर की यात्रा करके गुफा तक पहुंचना होगा और इस पूरी यात्रा में तीन दिन लगते हैं. ये रास्ता लंबा तो है, लेकिन इस रास्ते में चढ़ाई नहीं है और आप धीरे-धीरे कम मुश्किल से यहां पहुंच जाते हैं. एक पड़ाव में आप चंदनवाड़ी (16KM), दूसरे पड़ाव में शेषनाग (12 KM), तीसरे पड़ाव में गुफा तक (20 KM) पहुंचते हैं.
दूसरे रूट में चलना कम पड़ता है और आप कम समय में इस यात्रा को पूरा कर सकते हैं. ये रूट बालटाल वाला रूट है, जहां से आपको 14 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़नी होती है, लेकिन ये एकदम खड़ी चढ़ाई है. साथ ही इस रूट के रास्ते भी उतने सही नहीं है और इसे डिफिकल्ट ट्रैक माना जाता है. इस वजह से यहां बुजुर्ग आदि जाना पसंद नहीं करते हैं. वहीं, अगर यात्रा के दौरान बारिश हो जाती है तो ये यात्रा और भी मुश्किल हो जाती है.
वहीं बर्फ की बात करें तो इस बार देरी तक बर्फबारी हुई थी और कुछ जगहों पर 10 फीट तक बर्फ रही थी. ऐसे में बर्फ को लेकर कई कदम उठाए जा रहे हैं ताकि यात्रियों को कोई परेशानी नहीं हो.
क्या मिलती है हेलिकॉप्टर की व्यवस्था?
वहीं, अगर आप हेलिकॉप्टर से यात्रा करना चाहते हैं तो भी आपको पैदल तो चलना पड़ेगा. आप हेलिकॉप्टर में भी दोनों रूट से जा सकते हैं और इसमें रूट का चयन आप अपने टेंट, होटल का उपलब्धता या हेलिकॉप्टर की सीट के आधार पर तय कर सकते हैं. आप किसी भी रूट से जाएं, आपको पंजतारनी तक ही हेलिकॉप्टर मिलता है. इसके बाद करीब 6 किलोमीटर का ट्रैक करके आपको गुफा तक जाना होगा. इसका मतलब है कि हेलिकॉप्टर से जाने पर भी आपको 6 किलोमीटर तो जाना ही होगा. इसके आलाव पिट्ठू आदि के सहारे से भी ऊपर जा सकते हैं.
केदारनाथ से कितनी अलग है यात्रा?
अगर केदारनाथ की बात करें तो केदारनाथ धाम समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर है. वहीं, अमरनाथ हिमालय में समुद्र तल से 3,880 मीटर की ऊंचाई पर है. लेकिन, अमरनाथ जिन पहाड़ों से घिरा है, वहां बर्फ काफी ज्यादा रहती है, जिससे ठंड के साथ अन्य मुश्किलें भी काफी रहती हैं. केदारनाथ का ट्रैक 16 किलोमीटर का है और यहां चढ़ाई अमरनाथ के मुकाबले काफी कम है. साथ ही पूरा ट्रैक अच्छे से बना हुआ है और अमरनाथ का बालटाल वाला रूट काफी खतरनाक है.