हल्द्वानी : आखिरकार हल्द्वानी में रेलवे जमीन से अतिक्रमण हटने की राह पर बड़ा कदम उठने जा रहा है. वो भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर. सुप्रीम कोर्ट के निर्दश पर आखिरकार वो घड़ी नजदीक आ रही है जब ये तय हो पाएगा कि हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर कितना अतिक्रमण है और इस जमीन पर असल में कितने लोग घर बना चुके हैं. साथ ही यह भी तय होगा कि रेलवे फिलहाल अपने प्रोजक्ट के लिए कितनी जमीन चाहता है? इसका सर्वे शुक्रवार से शुरू होगा.
इस सर्वे में भारतीय रेल के साथ जिला प्रशासन के कर्मचारी भी शामिल होंगे. कुल मिलाकर छह टीमें तकरीबन 30 हेक्टेयर जमीन का सर्वे करेंगी. हल्द्वानी के सिटी मजिस्ट्रेट एपी वाजपेई के मुताबिक, सर्वे के लिए बनाई गई टीमों में जल संस्थान, रेलवे, पुलिस,राजस्व, बाल विकास, महिला कल्याण, सिंचाई और बिजली विभाग के कर्मचारी शामिल होंगे. सर्वे के दायरे में शनि बाजार से लेकर रेलवे स्टेशन के पास बसी गफूर बस्ती होगी.
दूसरी तरफ अपने घरों को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर पहुंचे एसपी नेता और स्थानीय निवासी अब्दुल मतीन सिद्दीकी ने बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने कहा है कि लोग साफ कह रहे हैं कि उन्हें रेलवे प्रोजेक्ट के लिए जमीन खाली करने में कोई दिक्कत नहीं. बस रेलवे जायज जमीन ले और सरकार प्रभावितों मुआवजा और घर देकर कहीं और बसा दे.
दरअसल, साल 2022 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के आसपास बसे बड़े इलाके को अतिक्रमण माना था और चार हजार से ज्यादा घरों को तोड़ने का आदेश दिया था, जिस पर स्थानीय लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस निर्णय पर रोक लगा दी थी, जिसकी सुनवाई इन दिनों सुप्रीम कोर्ट में जारी है, जिस पर अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी, लेकिन उससे पहले रेलवे और सरकार को पूरी सर्वे रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश करनी होगी, ताकि अतिक्रमण की जद में आ रहे अतिक्रमणकारियों के पुनर्वास पर सुप्रीम कोर्ट कोई फैसला सुना सके.