नई दिल्ली : उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) समिट चल रही है। समिट के दूसरे और आखिरी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात पर सस्पेंस है। रूस, चीन, भारत के साथ ही पाकिस्तान और ईरान जैसे देश भी इस समिट में हिस्सा ले रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ चीन, रूस और ईरान जैसे तीन बड़े विरोधियों के एक मंच पर आने से अमेरिका की भी चिंता बढ़ गई है।
SCO है क्या?
शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेश (SCO) एक स्थायी अंतरराष्ट्रीय संगठन है। 15 जून 2001 को चीन की राजधानी शंघाई में इस संगठन की घोषणा हुई। इस संगठन के एलान के वक्त इसमें कजाखस्तान, चीन, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने हिस्सा लिया था।
इससे पहले उज्बेकिस्तान को छोड़कर ये सभी देश शंघाई फाइव का हिस्सा थे। 1996 में बने शंघाई फाइव का मकसद चीन, रूस समेत इन पांचों देशों की सीमाओं पर तनाव कम करना था। 1997 में मॉस्को में हुए समझौते के बाद ये देश अपनी-अपनी सीमाओं से सैन्य जमावड़ा कम करने को राजी हो गए। 2001 में इस संगठन में उज्बेकिस्तान शामिल हुआ। इसके बाद इसका नाम शंघाई फाइव से बदलकर SCO कर दिया गया ।
सदस्य देशों के बीच आपसी विश्वास बढ़ाना, पड़ोसी देशों के बीच रिश्ते बेहतर करना, राजनीति, व्यापार और अर्थव्यवस्था, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, संस्कृति के साथ-साथ शिक्षा, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन, पर्यावरण संरक्षण और अन्य क्षेत्रों में प्रभावी सहयोग को बढ़ावा देना इस संगठन का प्रमुख उद्देश्य है। इसके साथ ही क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने और सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त प्रयास करना भी SCO के उद्देश्यों में शामिल है।
इस वक्त कितने देश SCO में शामिल हैं?
इस वक्त SCO के सदस्य देशों की संख्या बढ़कर आठ हो चुकी है। SCO के आठ पूर्णकालिक सदस्यों में भारत, कजाखस्तान, चीन, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। चार देशों अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया को SCO में पर्यवेक्षक का दर्जा मिला हुआ है। वहीं, छह देशों अजरबैजान, आर्मेनिया, कंबोडिया, नेपाल, तुर्की और श्रीलंका को एक संवाद भागीदार राष्ट्र का दर्जा प्राप्त है। इस तरह से पांच देशों के बीच सैन्य तनाव कम करने के लिए शुरू हुआ ये संगठन एशिया के बेहद ताकतवर संगठन के रूप में बदल चुका है। इस संगठन में 18 देश जुड़े हुए हैं।
इस संगठन में शामिल आठ स्थाई सदस्य देशों में दुनिया की 41% से ज्यादा आबादी रहती है। दुनिया के कुल क्षेत्रफल में इन देशों की हिस्सेदारी करीब 60 फीसदी है। इसके साथ ही दुनिया की कुल जीडीपी में इन देशों की हिस्सेदारी 30% है। इस संगठन की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसमें दुनिया की चार परमाणु शक्ति संपन्न देश (रूस, चीन, भारत, पाकिस्तान) शामिल हैं। इसके साथ ही दो देश (चीन और रूस) ऐसे हैं जो संयुक्त राष्ट सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य हैं।
भारत की इस संगठन में क्या भूमिका है?
8-9 जून 2017 को अस्ताना में SCO की ऐतिहासिक समिट हुई थी। इस समिट में ही भारत SCO का स्थाई सदस्य बना। हालांकि, भारत के साथ ही पाकिस्तान को भी 2017 में ही इस संगठन का स्थाई सदस्य बनाया गया था। इससे पहले भारत SCO में पर्यवेक्षक राष्ट्र के रूप में हिस्सा लेता रहा था। 2005 में कजाकिस्तान के ही अस्ताना में हुई समिट में भारत ने पहली बार हिस्सा लिया था। उस समिट में भारत के साथ ही पाकिस्तान, ईरान और मंगोलिया को भी आमंत्रित किया गया था।
SCO का पूर्णकालिक सदस्य बनने के बाद से भारत ने इसके सदस्य देशों में शांति, समृद्धि और स्थिरता को प्रोत्साहित करने के लिए गंभीर प्रयास किए हैं। SCO भारत को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए एक बुहपक्षीय और क्षेत्रीय मंच प्रदान करता है। इसके साथ ही अवैध नशीली दवाओं के व्यापार से निपटने का देता है।
इस बार के सम्मेलन में अब तक क्या हुआ है?
SCO समिट में शुक्रवार को क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति, व्यापार और कनेक्टिविटी बढ़ाने के तरीकों पर विचार-विमर्श हुआ। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और SCO के अन्य नेताओं ने अपने विचार रखे।
भारत और चीन के बीच करीब 28 महीने पहले सीमा पर बढ़े तनाव के बाद पहली बार प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक मंच पर मौजूद थे। हालांकि, अब तक ये साफ नहीं है कि मोदी और जिनपिंग की द्विपक्षीय मुलाकात होगी या नहीं। इस समिट में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, ईरान का राष्ट्रपति इब्राहिम राइसी समेत कई मध्य एशियाई देशों के नेता भी भाग ले रहे हैं। रूस यूक्रेन युद्ध और चीन-ताइवान के बीच बढ़ते तनाव के बीच ये शिखर सम्मेलन हो रहा है। सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री मोदी की रूस, उज्बेकिस्तान और ईरान के राष्ट्रपतियों से भी मुलाकात होनी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस समिट में क्या कहा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने SCO समिट को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, इस साल भारत की अर्थव्यवस्था के 7.5 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है। पीएम ने कहा, हम प्रत्येक सेक्टर में इनोवेश का समर्थन कर रहे हैं। आज भारत में 70 हजार से ज्यादा स्टार्ट आप है, जिसमें 100 से अधिक यूनीकॉर्न हैं। इस क्षेत्र में हमारा अनुभव एससीओ देशों के काम आ सकता है। इसी उद्देश्य से हम एससीओ सदस्य देशों के साथ अनुभव साझा करने के लिए तैयार हैं।
2023 में इस समिट का आयोजन भारत में होगा। इस मौके पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इसके लिए भारत को बधाई दी। उन्होंने कहा, “हम अगले साल भारत की अध्यक्षता में होने वाली बैठक का समर्थन करते हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी भारत को अगले साल एससीओ समिट की मेजबानी के लिए बधाई दी।