नई दिल्ली :मोबाइल, कम्प्यूटर, टीवी, कार, एसी और फ्रिज… वर्तमान में शायद ही कोई ऐसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस हो जिसमें सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल न हो रहा हो. यही वजह है कि दुनियाभर में इसकी डिमांड बढ़ती जा रही है. सेमीकंडक्टर की कमी होते ही दुनियाभर में हाय तौबा मच जाती है. इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के दाम आसमान छूने लगते हैं. चीन, हॉन्गकॉन्ग, ताइवान, दक्षिण कोरिया, ये वो देश हैं जो दुनियाभर को सेमीकंडक्टर पहुंचा रहे हैं. अब भारत भी सेमीकंडक्टर का हब बनने की तरफ आगे बढ़ रहा है.
पीएम मोदी ने बुधवार को 1.25 लाख करोड़ की लागत वाली तीन सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की नींव रखी. इनमें से एक असम के मोरिगांव और दो गुजरात के धोलेरा और साणंद में स्थापित होंगी. इससे भारत सेमीकंडक्टर की मैन्युफैक्चरिंग में ग्लोबल हब बनेगा. खास बात है कि इन तीनों फैसिलिटीज में अगले 100 दिनों के अंदर मैन्युफैक्चरिंग का काम शुरू हो जाएगा. इसी बहाने अब यह भी जान लेते हैं कि क्या है सेमीकंडक्टर, यह काम कैसे करता है, कैसे जीवन बदल रहा है और भारत को इसकी जरूरत क्यों है?
क्या है सेमीकंडक्टर?
यह एक तरह की चिप है, जिसका इस्तेमाल इलेक्ट्राॅनिक डिवाइस में किया जाता है. आसान भाषा में समझें तो यह कंडक्टर और इंसुलेटर के बीच की कड़ी कहा जा सकता है. जो करंट को कंट्रोल करता है. सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री एसोसिएशन के मुताबिक, ये कई तरह से बनाए जा सकते हैं. जैसे- सिलिकॉन, जर्मेनियम, गैलियम आर्सेनाइड या फिर कैडमियम सेलेनाइड.
कैसे सेमीकंडक्टर ने बदल दी जिंदगी?
पिछले 50 सालों का इतिहास देखें तो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस छोटे हुए हैं, स्मार्ट बने हैं और इनकी क्षमताओं में इजाफा हुआ है. इसमें सेमीकंडक्टर का रोह अहम रहा है. कार के इंजन को कंट्रोल करने से लेकर एक्सरे मशीन, एमआरआई स्कैनर, सर्जिकल रोबोट्स तक में इसका इस्तेमाल किया जा है. घर में इस्तेमाल वाले एप्लायंसेस जैसे-फ्रिज, टीवी, के कम्प्यूटर, एसी समेत कई चीजों के सेमीकंडक्टर का बहुत अहम रोल है. आसान शब्दों में समझें तो एक छोटी सी चीज ने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की दुनिया में क्रांति ला दी है.
फ्रिज-वॉशिंग हो या मोबाइल यह समय के साथ स्मार्ट हो गए हैं. अब एक क्लिक में हेल्थ रिपोर्ट सामने आ रही है. रोबोट सर्जरी कर रहे हैं. टीवी सिर्फ टीवीभर नहीं रहा. इन सब बदलावों में सेमीकंडक्टर किसी टर्निंग पॉइंट से कम नहीं रहा.
कौन है इसका बादशाह?
वर्तमान में चीन को सेमीकंडक्टर का बादशाह कहा जाता है. यहां की अर्थव्यवस्था में इसका बहुत अहम रोल है. चीन सबसे ज्यादा सेमीकंडक्टर का निर्माण करता है. इसके बाद ताइवान, हॉन्गकॉन्ग और दक्षिण कोरिया जैसे देश आते हैं. ये देश दुनियाभर को सेमीकंडक्टर सप्लाय करते हैं.
वर्तमान में भारत 100 फीसदी सेमीकंडक्टर का आयात करता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत हर साल 1.90 लाख करोड़ रुपए के सेमीकंडक्टर विदेश से मंगाता है. इस राशि का एक बड़ा हिस्सा चीन को जाता है. अब भारत अपने ही देश सेमीकंडक्टर को असेम्बल करेगा. इससे चीन और दूसरे देशों पर निर्भरता घटेगी.
कैसे चिप इंडस्ट्री का हब बनेगा भारत?
चिप इंडस्ट्री में आगे बढ़ने के लिए भारत पहले ही कई कदम उठा चुका है. बुधवार को पीएम मोदी ने देश को तीन सेमीकंडक्टर यूनिट का तोहफा दिया है. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया. साल 2021 में भारत ने देश में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 10 बिलियन डॉलर की उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना का ऐलान किया था.
इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Meity) ने 2021 में सेमीकंडक्टर डिज़ाइन के लिए 20 घरेलू कंपनियों को बढ़ावा देने और उन्हें अगले 5 सालों में 1500 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार के लिए डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) योजना शुरू थी. अब सब कुछ योजना के अनुरूप रहा है तो सेमीकंडक्टर देश की अर्थव्यव्स्था के लिए टर्निंग पॉइंट बन सकता है. यह अर्थव्यवस्था को रफ्तार दे सकता है.