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भारत से इंग्लैंड कैसे पहुंची शिवाजी की सबसे खास तलवार जगदंबा?

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
09/09/23
in राज्य, समाचार
भारत से इंग्लैंड कैसे पहुंची शिवाजी की सबसे खास तलवार जगदंबा?
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छत्रपति शिवाजी महाराज का वाघ-नख की ब्रिटेन से वापसी की खबरों के बीच उनकी खास तलवार जगदंबा की चर्चा शुरू हो गई है. लोगों को उम्मीद है कि मराठा शान की तलवार जगदंबा भी अब वापस आएगी. यह कब और कैसे आएगी, इसका फैसला ब्रिटेन और भारत सरकार को करना है. चूंकि आज भारत और ब्रिटेन के रिश्ते हर स्तर पर बहुत सहज हैं, ऐसे में इस खास तलवार के आने में बड़ी दिक्कत नहीं आएगी. ब्रिटेन सरकार इसे आसानी से वापस कर देगी.

ऐसे में सवाल है कि यह खास तलवार ब्रिटेन पहुंची कैसे? कौन इसे लेकर गया? क्या लूटपाट के दौरान यह तलवार पहुंची या कोई और व्यवहारिक तरीका अपनाने के बाद पहुंची?

कहानी साल 1875 से शुरू होती है

जगदंबा के ब्रिटेन जाने की कहानी साल 1875 से जुड़ती है. उस समय युवराज प्रिंस ऑफ वेल्स अल्बर्ट एडवर्ड सप्तम दिसंबर महीने में भारत आए थे. कहा जाता है कि वे पुराने शस्त्रों के शौकीन थे और जहां कहीं भी ऐसे अनूठे शस्त्र मिलते, वे अपने पास रखते. उनके आने की सूचना पुख्ता होने के बाद ही अंग्रेज अफसरों ने तब के राजाओं पर पुराने और युनिक शस्त्र युवराज को भेंट करने का दबाव बनाया गया. तब अंग्रेज इतने प्रभावी हो चुके थे कि उन्हें आसानी से कुछ मना करना किसी राजा के बूते की बात नहीं थी क्योंकि उस समय ज़्यादातार राजघराने अंग्रेजों की कृपा चाहते थे. ताकि उनकी शान-ओ-शौकत बनी रहे.

अंग्रेज भी उनसे तगड़ी वसूली करते और बदले में उन्हें राजा की तरह व्यवहार करने की अनुमति थी. युवराज जहां-जहां जाते, रियासतें उन्हें अपने पुरखों के पुराने शस्त्र भेंट करते. कहा जाता है कि उस विजिट में युवराज को पांच सौ रियासतों ने शस्त्र भेंट किए थे.

बॉम्बे से कनेक्शन

भ्रमण के दौरान जब वे जब बॉम्बे पहुंचे तब उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज की खास तलवार जगदंबा भेंट की गई. यह काम उनके वंशज शिवाजी चतुर्थ, जिनकी उम्र सिर्फ 11 साल थी उन्होंने तलवार जगदंबा और एक कटार भेंट की थी. बॉम्बे में उस समय एक विशेष दरबार युवराज के लिए लगाया गया था. जब अंग्रेजों ने इस तलवार को युवराज के भेंट के रूप में स्वीकार करने का फैसला किया तो उसकी स्थिति बहुत खराब थी. उसमें पहले जड़े रहे हीरे-माणिक आदि उखड़ कर गायब हो चुके थे. म्यान भी नहीं थी.

शस्त्रागार में यह तलवार यूं ही पड़ी हुई थी. युवराज को भेंट करने से पहले इसे नए सिरे से चमकाया गया. हीरे-जवाहरात जड़े गए. नई म्यान भी बनवाई गई. इसे युवराज अपने साथ ब्रिटेन ले गए थे.

अब कहां है वो तलवार?

यह तलवार इस समय ब्रिटेन में रानी विक्टोरिया के सेंट जेम्स पैलेस स्थित उनके निजी संग्रहालय में रखी है. दो साल पहले इसका रहस्योद्घाटन हुआ. तब से महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र के माध्यम से इसकी वापसी के प्रयास शुरू किए. शिवाजी महाराज का जो वाघ नख अभी वापस लाया जा रहा है, उसी से शिवाजी महराज ने अफजल खान को मौत के घाट उतारा था. उसने धोखे से मारने के लिए शिवाजी महाराज को बुलाया था. वाघ नख हथेली में छिपाकर पहना जाने वाला हथियार है. यह बाघ के पंजे से प्रेरित है.

केंद्र सरकार इन दिनों पूरी दुनिया से अपनी ऐसी धरोहरों की वापसी का अभियान चला रही है. इस प्रयास से 250 से ज्यादा चीजें वापस आ चुकी हैं. कई दर्जन आने को हैं. वाघ नख भी उसे में से एक है.

कौन थे शिवाजी चतुर्थ?

शिवाजी चतुर्थ कौन थे, अब इसे भी समझ लेते हैं. छत्रपति शिवाजी महराज के पुत्र शंभाजी महाराज की औरंगजेब ने जब हत्या कर दी तो उनके दूसरे बेटे राजाराम को छत्रपति की उपाधि मिली. शंभाजी और राजाराम सौतेले भाई थे. शिवाजी चतुर्थ, छत्रपति राजाराम के वंशज थे.

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