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कर्ज से कैसे निकलेगी मध्य प्रदेश सरकार?

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
29/06/24
in राज्य, समाचार
कर्ज से कैसे निकलेगी मध्य प्रदेश सरकार?
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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश सरकार को अब फ्री-बीज यानी मुफ्त की योजना भारी पड़ रही है. मुफ्त की योजना से सरकार के खजाने पर भी असर पड़ रहा है. खजाना दिन पर दिन कर्ज की दलदल में चला जा रहा है. अब सवाल यह उठने लगा है कि आखिर राज्य सरकार कर्ज से बाहर कैसे आएगी? ऐसे में खजाने को कर्ज की दलदल से बचाने के लिए मोहन सरकार एक बार फिर से भारी कर्ज लेने जा रही है. यह कर्ज 88 हजार 540 करोड़ रुपए का होगा. मोहन सरकार 73 हजार 540 करोड़ रुपए बाजार से और 15 हजार करोड़ रुपए केंद्र सरकार से लेगी.

सरकार लाड़ली बहना योजना पर हर साल 18 हजार करोड़ रुपए खर्च करती है. इसके अलावा 100 रुपए में 100 यूनिट बिजली देने में 5 हजार 500 करोड़ रुपए का खर्च आता है. वहीं, कृषि पंपो पर 17 करोड़ रुपए की सब्सिडी एमपी सरकार देती है जबकि, 450 रुपए सिलेंडर देने की योजना के लिए 1000 करोड़ रुपए की जरूरत होती है.

फ्री-बीच योजनाओं का खर्च भी ज्यादा रहता है

वहीं, फ्री-बीज मुक्त योजनाओं का खर्चा भी हर साल 25 हजार करोड़ रुपए से अधिक रहता है. साल 2021 -22 में कर्मचारियों के वेतन भत्तों पर खर्चा 59,662 करोड़ रुपए था, जो कि 24.78 फीसदी रही थी. साल 2023-24 में यह 82.838 करोड़ रुपए पहुंच गया जो कि बजट का 27.43 फीसदी अधिक है. इतना ही नही जनरल प्रोविडेंट फंड में भी बहुत नुकसान हुआ है. 2023-24 में कर्मचारियों के जीपीएफ में 4 हजार 949 करोड़ रुपए जमा हुए हैं, जबकि भुगतान 5 हजार 563 करोड़ रुपए का हुआ. यानी 614 करोड़ रुपए अधिक भुगतान करना पड़ा है.

पिछली बार से 38 फीसदी ज्यादा लेगी कर्ज

इस बार सरकार जो 88 हजार 540 करोड़ रुपए का कर्ज ले रही है, पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले यह कर्ज 38 फीसदी ज्यादा है. सरकार ने साल 2023-24 वित्त वर्ष में 55 हजार 708 रुपए का कर्ज लिया था. कांग्रेस ने इसे लेकर सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. इस पर राज्य के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा का कहना है कि कांग्रेस के पास कुछ नहीं है. पहले की चल रही कोई योजना बंद नहीं करेंगे.

2.52 लाख करोड़ है कुल आय

सरकार की फिलहाल कुल आय 2.52 लाख करोड़ रुपए है जबकि, उसका राजस्व खर्चा 2.51 लाख करोड़ रुपए है. सरकार की आय के मुकाबले खर्चा ज्यादा हो रहा है, लेकिन चुनाव के दौरान जनता को लुभाने के लिए की गई घोषणाओं को पूरा करने मे सरकारी खजाने का दम निकला जा रहा है

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