नई दिल्ली। आतंक को पालना और पनाह देना पाकिस्तान को भारी पड़ रहा है। वैसे तो पाकिस्तान की अकड़ कम नहीं हो रही है, लेकिन आर्थिक रूप से इसकी कमर टूट रही है। पाकिस्तान इस समय गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। स्थिति ऐसी है कि पाकिस्तान के लोग रोटी और पानी को भी तरस रहे हैं। भारत को खोखली धमकी देने वाला पाकिस्तान अपनी आवाम को पानी और रोटी भी मुहैय्या नहीं करवा पा रहा है। बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक अस्थिरता के बीच पाक के आम नागरिकों की जिंदगी मुश्किल हो चुकी है।
वहीं दूसरी ओर, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से राहत पैकेज हासिल करने के लिए पाकिस्तान सरकार को कड़ी शर्तों का पालन करना पड़ रहा है। दरअसल, IMF चाहता है कि पाकिस्तान टैक्स सुधार लागू करे, सब्सिडी खत्म करे और सरकारी खर्चों में भारी कटौती करे। लेकिन दिक्कत ये है कि अगर पाक IMF की शर्तों को मानता है, तो इसका सीधा असर आम जनता पर होगा। वैसे भी पाकिस्तान में इस वक्त बिजली, पेट्रोल, गैस और खाद्य पदार्थों के दाम आसमान छू रहे हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश के कई इलाकों में पानी की भीषण कमी है। सिंध और बलूचिस्तान जैसे क्षेत्रों में किसान सूखे की वजह से परेशान हैं और पीने के पानी के लिए लोगों को मीलों चलना पड़ रहा है। गेहूं और आटे की कीमतें इतनी बढ़ गई हैं कि गरीब परिवारों के लिए एक वक्त की रोटी पाना मुश्किल हो गया है।
पाकिस्तान सरकार अभी भी उम्मीद है कि वह IMF के सामने हाथ फैलाकर राहत हासिल कर लेगी, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आ रहे हैं। पाकिस्तान के विपक्षी दलों और आम नागरिकों का आरोप है कि शहबाज सरकार ने जनता की तकलीफों को अनदेखा कर दिया है। पाक की आवाम का कहना है कि सरकार ने विदेशी ऋणों पर निर्भरता बढ़ा दी है।