योगीराज प्रदीप कुमार तिवारी हरिद्वार से योग एवं नैदानिक चिकित्सा में परास्नातक है। ये देश के कई हिस्सों में योग के द्वारा कई जटिल बीमारियों का इलाज करते हैं। इसके साथ ही अपने लेखों के माध्यम से लोगों को योग के प्रति जागरूक करते रहते हैं
योग का हमारे जीवन में क्या प्रभाव पड़ता है? यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। आज से 50 वर्ष पूर्व योग का अध्ययन-अध्यापन ऋषियों तथा महर्षियों का विषय रहा ही माना जाता था, लेकिन योग अब आम लोगों के मानसिक और शारीरिक रोग मिटाने में लाभदाय सिद्ध हो रहा है।
योग का नियम से और नियमित अभ्यास करने से सबसे पहले हमारे शरीर स्वस्थ बनता है। शरीर के स्वस्थ रहने से मन और मस्तिष्क भी ऊर्जावान बनते हैं। दोनों के सेहतमंद रहने से ही आत्मिक सुख की प्राप्ति होती है। यह तीनों के स्वास्थ्य तालमेल से ही जीवन में खुशी और सफलता मिलती है।
वास्तव में योग वह क्रिया है, जो शरीर के अंगों की गतिविधियों और सांसों को नियंत्रित करता है। यह शरीर और मन, दोनों को प्रकृति से जोड़कर आन्तरिक और बाहरी ताकत को बढ़ावा देने का कार्य करता है। विभिन्न प्रकार के योग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किए जाते हैं, इसलिए केवल आवश्यक और सुझाये गए योगों का ही अभ्यास करना चाहिए। यह केवल एक शारीरिक क्रिया ही नहीं है, क्योंकि यह एक मनुष्य को मानसिक, भावनात्मक और आत्मिक विचारों पर नियंत्रण करने के योग्य भी बनाता है।
वर्तमान युग : आधुनिक युग में योग का महत्व बढ़ गया है। इसके बढ़ने का कारण व्यस्तता और मन की व्यग्रता है। आधुनिक मनुष्य को आज योग की ज्यादा आवश्यकता है, जबकि मन और शरीर अत्यधिक तनाव, वायु प्रदूषण तथा भागमभाग के जीवन से रोगग्रस्त हो चला है।
आधुनिक व्यथित चित्त या मन अपने केंद्र से भटक गया है। उसके अंतर्मुखी और बहिर्मुखी होने में संतुलन नहीं रहा। अधिकतर अति-बहिर्मुख जीवन जीने में ही आनंद लेते हैं जिसका परिणाम संबंधों में तनाव और अव्यवस्थित जीवनचर्या के रूप में सामने आया है।
सुबह को योग का नियमित अभ्यास हमें अनगिनत शारीरिक और मानसिक बीमारियों से बचाने का कार्य करता पहै। योग के विभिन्न आसन मानसिक और शारीरिक मजबूती के साथ ही अच्छाई की भावना का निर्माण करते हैं। यह मानव मस्तिष्क को तेज करता है, बौद्धिक स्तर को सुधारता है और भावनाओं को स्थिर रखकर उच्च स्तर की एकाग्रता में मदद करता है। अच्छाई की भावना मनुष्य में सहायता की प्रकृति के निर्माण करती है और इस प्रकार, सामाजिक भलाई को बढ़ावा देती है। एकाग्रता के स्तर में सुधार ध्यान में मदद करता है और मस्तिष्क को आन्तरिक शान्ति प्रदान करता है। योग प्रयोग किया गया दर्शन है, जो नियमित अभ्यास के माध्यम से स्व-अनुशासन और आत्म जागरूकता को विकसित करता है।
योग का प्रभाव (effects of yoga) : योगासनों के नियमित अभ्यास से मेरूदंड सुदृढ़ बनता है, जिससे शिराओं और धमनियों को आराम मिलता है। शरीर के सभी अंग-प्रत्यंग सुचारु रूप से कार्य करते हैं। प्राणायाम द्वारा प्राणवायु शरीर के अणु-अणु तक पहुंच जाती है, जिससे अनावश्यक एवं हानिप्रद द्रव्य नष्ट होते हैं, विषांश निर्वासित होते हैं- जिससे सुखद नींद अपने समय पर अपने-आप आने लगती है। प्राणायाम और ध्यान से मस्तिष्क आम लोगों की अपेक्षा कहीं ज्यादा क्रियाशील और शक्तिशाली बनता है।
योग से जहां शरीर की ऊर्जा जाग्रत होती है वहीं हमारे मस्तिष्क के अंतरिम भाग में छिपी रहस्यमय शक्तियों का उदय होता है। जीवन में सफलता के लिए शरीर की सकारात्मक ऊर्जा और मस्तिष्क की शक्ति की जरूरत होती है। यह सिर्फ योग से ही मिल सकती है अन्य किसी कसरत से नहीं।
योग करते रहना का प्रभाव यह होता है कि शरीर, मन और मस्तिष्क के ऊर्जावान बनने के साथ ही आपकी सोच बदलती है। सोच के बदलने से आपका जीवन भी बदलने लगता है। योग से सकारात्मक सोच का विकास होता है।
आदत बदलना जरूरी : योग द्वारा सच्चा स्वास्थ्य प्राप्त करना बिलकुल सरल है। अच्छा स्वास्थ्य हर व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है। रोग और शोक तो केवल प्राकृतिक नियमों के उल्लंघन, अज्ञान तथा असावधानी के कारण होते हैं। खुशी और स्वास्थ्य के नियम बिलकुल सरल तथा सहज हैं। केवल अपनी कुछ गलत आदतों को बदलकर योग को अपनी आदत बनाएं।
हम योग से होने वाले लाभों की गणना नहीं कर सकते हैं, हम इसे केवल एक चमत्कार की तरह समझ सकते हैं, जिसे भगवान ने मानव प्रजाति को उपहार के रुप में प्रदान किया है। यह हमारी शारीरिक तंदुरुस्ती को बनाए रखता है, तनाव को कम करता है, भावनाओं को नियंत्रित रखते हुए नकारात्मक विचारों को भी नियंत्रित करता है। जिससे हममें भलाई की भावना, मानसिक शुद्धता, और आत्मविश्वास विकसित होता है। योग के अनगिनत लाभ हैं, हम यह कह सकते हैं कि योग मानवता को मिला हुआ एक ईश्वरीय वरदान है।