- प्रौद्योगिकी के विकास के साथ उसके जोखिम भी बड़ रहेः सिंह
- अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर हुआ आयोजन
देहरादून। अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के तहत उत्तराखंड तकनीक विश्वविद्यालय व उत्तराखंड मानव अधिकार संरक्षण केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में ‘मानव के लिए प्रौद्योगिकी और साइबर सोसायटी में सुरक्षा’ विषयक सेमिनार का आयोजन किया गया।
मानव सेवा के समर्पित 14 महानुभावों को ‘7वें मानव अधिकार संरक्षण रत्न-2023’ अवार्ड से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मानव जीवन में प्रौद्योगिकी के माध्यम से व्यक्ति की गरिमा और स्वतंत्रता और न्याय के अधिकारों के हनन पर परिचर्चा की गई।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि उत्तराखंड राज्य लोक सेवा अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी, मानव अधिकार संरक्षण केंद्र के अध्यक्ष व एमिटी यूनिवर्सिटी के वाइस चेयरमैन न्यायमूर्ति राजेश टंडन, उत्तराखंड राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. आर.के. जैन, उत्तराखंड राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य आर.एस. मीना, राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण के सचिव न्यायाधीश अब्दुल कय्यूम व समारोह के अध्यक्ष वीएमएसबी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओंकार सिंह ने किया।
आर.एस. मीणा ने कहा कि आज पुलिस के समक्ष साइबर अपराध अन्य सभी प्रकार के अपराधों से अधिक चुनौती बनकर उभरा है। साइबर अपराध को रोकने के लिए जो कानून बने है वह अब नाकाफी महसूस किए जा रहे है। साइबर अपराधी डीपफेक और आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस के माध्यम से दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर आपकी गरिमा, प्रतिष्ठा का हनन कर सकता है, आपको आर्थिक नुकसान पहंुचा सकता है।
पद्मश्री डॉ आर.के जैन ने कहा कि दुनिया का एक बहुत बड़ा हिस्सा आज इंटरनेट के माध्यम से साइबर वर्ल्ड से जुड़ा हुआ है। ऐसे में जानकारी, जागरूकता और हर वक्त सचेत रहकर ही आप अपने साथ होने वाले साइबर अपराधों से बच सकते है। उन्होंने बताया कि किस तरह से वॉयस क्लोनिंग के माध्यम से साइबर अपराधी आपके परिजनों या परीचितों की आवाज में बात करके आपके साथ किसी भी तरह का अपराध कर सकते है।
न्यायमूर्ति राजेश टंडन ने मौजूदा आईटी एक्ट की जानकारी दी और उनके क्रियान्वयन में आने वाले दिक्कतों से रूबरू कराया। न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी ने मानव अधिकारों के महत्व एवं उनके संरक्षण के विषय में सविस्तार के बताते हुए कहा कि किस तरह से संविधान सर्वाेपरि है और कोई भी कानून संविधान में दी गई शक्तियों का अतिक्रमण नहीं कर सकता।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे प्रो. ओंकार सिंह ने कहा कि प्रौद्योगिकी का विकास जिस तेजी के साथ हो रहा है उतने ही उसके जोखिम भी बढ़ते जा रहे हैं। कुछ लोग प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञता हासिल करने के बाद उसका उपयोग समाज विरोधी गतिविधियों में कर रहे है। इससे पूर्व साइबर एक्सपर्ट डॉ. विशाल कौशिक ने पॉवर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से बताया कि किस तरह से हम साइबर अपराधों का शिकार हो रहे हैं।
उन्होंने बताया कि आज मानव के अधिकारों के हनन का सबसे बड़ा खतरा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से है। फेक न्यूज, फेक वीडियो, ऑडियो और फोटो के माध्यम से किस तरह से सामाजिक सोहार्द को खराब किया जा रहा है और मानव को मानव के खिलाफ खड़ा किया जा रहा है।
इस मौके पर विवि के कुलसचिव प्रो. सत्येंद्र सिंह, मानव अधिकार संरक्षण केंद्र के महासचिव कुँवर राज अस्थाना, वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल, संदीप राणा, प्रो. पूजा शर्मा, अकबर सिद्दकी, राजीव वर्मा, एसपी सिंह, अनिल सिंह, राजेश डंग, अनिल तंवर, राजा डोगरा, वासु, अरविंद गुप्ता, पूनम आर्या, राजेश सोनी, शंभूनाथ गौतम, एन.ए. खान, विनय मित्तल, सारिका अग्रवाल आदि उपस्थित थे।