गौरव अवस्थी “आशीष”
आज हिंदी साहित्य के सूर्य पंडित सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की साठवीं पुण्यतिथि है। अपनी पत्रकारिता के शुरुआती दिनों में लखनऊ से प्रकाशित हिंदुस्तान और कानपुर से प्रकाशित स्वतंत्र भारत में निराला जी पर यह खबरें लिखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। कभी प्रदेश में रुआबदार गृह मंत्री रहे उन्नाव के राजनेता श्रद्धेय पंडित गोपीनाथ दीक्षित जी ने गढ़ाकोला में निराला पुस्तकालय स्थापित कराया था। वर्तमान में विधानसभा अध्यक्ष एवं भगवंत नगर के विधायक आदरणीय हृदय नारायण दीक्षित जी की कृपा से 14 करोड़ की लागत से निराला जी के पैतृक गांव में विशाल सभा भवन निर्माणाधीन है l
30 साल पहले उन्नाव जनपद के “मालवीय” कहे जाने वाले पिताजी पंडित कमला शंकर अवस्थी ने बीघापुर क्षेत्र के बच्चों के लिए उच्च शिक्षा की व्यवस्था के लिए महाप्राण निराला महाविद्यालय ओसिया गांव में निराला जी के गांव को जाने वाले रास्ते पर स्थापित कराया था। उन्होंने उन्नाव से गढाकोला तक पदयात्रा भी निकाली थी। इस पदयात्रा में विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के वाइस चांसलर रहे देश के वरिष्ठ साहित्यकार और उन्नाव जनपद की विभूति श्रद्धेय डॉ शिवमंगल सिंह “सुमन”जी के साथ साथ जनपद के तमाम साहित्यकार, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए थे. हमें भी कनिष्ठ सदस्य के रूप में इस पदयात्रा का हिस्सा बनने का सौभाग्य मिला था।
जन्मशती पर भी निराला शिक्षा निधि की ओर से पैतृक गांव गढ़ाकोला उन्नाव और ससुराल डलमऊ रायबरेली मैं देशभर के साहित्यकार एकत्र हुए थे। उसी आयोजन की विश्लेषणात्मक रिपोर्ट-“निराला की जन्मशती पर उठे सवाल” शीर्षक से हिंदुस्तान लखनऊ के संस्थापक संपादक स्वर्गीय श्री सुनील दुबे जी ने प्रमुखता से ऑल एडिशन प्रकाशित की थी. स्वतंत्र भारत के कानपुर संस्करण में संपादक की पेज पर-“कोई है जो निराला की इस कुटिया का उद्धार करे” शीर्षक से लेख प्रकाशित हुआ था। रायबरेली जनपद के लालगंज बैसवारा महाविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष रहे वरिष्ठ साहित्यकार स्वर्गीय डॉ उपेंद्र बहादुर सिंह महाप्राण निराला कि इस कुटिया को “हाउस ऑफ कॉमंस” की संज्ञा देते थे।
यह खबरें उसी कालखंड में हमारे द्वारा लिखी गई थी. महाप्राण निराला के महाप्रयाण पर उन्हें नमन करते हुए अपनी लिखी हुई कुछ खबरें आज सब के अवलोकन के लिए पोस्ट कर रहा हूं.
महाप्राण के श्रीचरणों में शत शत नमन..