नैनीताल l उत्तराखंड की जेल में बंद सजायाफ्ता कैदी की पत्नी ने उत्तराखंड हाईकोर्ट से पति की अल्पकालीन (शॉटटर्म) जमानत मांगते हुए अनोखी गुहार लगाई है। पत्नी की दलील है कि उसके पति को संतानोत्पत्ति के लिए कुछ समय के लिए रिहा कर दिया जाए। हाई कोर्ट ने महिला की प्रार्थना को स्वीकार तो नहीं किया लेकिन कैदियों से सम्बंधित जनहित याचिका से इसे जोड़ते हुए संवैधानिक प्रश्न पर व्यापक सुनवाई करने का निर्णय लिया है।
सजायाफ्ता कैदी सचिन निवासी आनंद बाग हल्द्वानी एक बच्ची के साथ ट्रक में हुए सामूहिक दुष्कर्म के मामले में आरोप सिद्ध होने के बाद से बीते छह वर्षों से जेल में बंद है। मुखानी थाने में सचिन के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। वहीं 2016 में उसे निचली अदालत ने 20 साल की सजा सुनाई है। निचली अदालत के साथ ही उच्च न्यायालय भी दो बार उसकी जमानत अर्जी को खारिज कर चुका है। अब सचिन की पत्नी का कहना है कि जब उसका पति जेल गया था तब उसकी शादी को मात्र तीन माह ही हुए थे अब उसकी उम्र 30 वर्ष है। ऐसे में वह चाहती है कि वंश बढ़ाने के लिए उसके पति को कुछ समय के लिए जमानत पर छोड़ा जाए।
न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर एस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने इस मामले में सरकारी अधिवक्ता जेएस विर्क को न्याय मित्र नियुक्त किया है। उन्हें जिम्मेदारी दी गई है कि वह अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड जैसे देशों में इन परिस्थितियों के चलते परम्पराओं व नीतियों के पालन की जानकारियां जुटाकर न्यायालय को सूचित करें। साथ ही सरकार से भी इस मामले में राय बताने को कहा है। पीठ ने इस मामले की व्यापक सुनवाई का निर्णय लेते हुए अगली सुनवाई 31 अगस्त के लिए नियत कर दी है।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता हिमांशु सिंह व सैफाली सिंह ने न्यायालय में बहस करते हुए बताया कि संविधान के अनुच्छेद-21 के अंतर्गत प्रत्येक व्यक्ति को जीवन जीने के साथ वंश बढ़ाने के लिए बच्चा पैदा करने का अधिकार है। याचिकाकर्ता की पत्नी की उम्र वर्तमान में 30 वर्ष है तथा वह बच्चा पैदा करने की क्षमता रखती है।
खबर इनपुट एजेंसी से