नई दिल्ली: भारत सरकार देश में ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए काफी कोशिश कर रही है. सरकार इलेक्ट्रिक व्हीकल्स से लेकर ग्रीन एनर्जी के सोर्स को नया रूप देने के लिए नई घोषणाएं भी कर रही है. सरकार की कोशिश देश की हवा को साफ करने की है. इसी कड़ी में सरकार एक कंपनी के साथ मिलकर हाइड्रोजन वैली की शुरुआत करने जा रही है.
जेनसोल इंजीनियरिंग ने मैट्रिक्स गैस एंड रिन्यूएबल्स लिमिटेड के साथ मिलकर पुणे में भारत की पहली ग्रीन हाइड्रोजन वैली परियोजना स्थापित करने का ठेका मिलने की जानकारी दी है. बीएसई को दी सूचना के अनुसार, ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन संयंत्र इलेक्ट्रोलिसिस रूट के जरिये बिल्ड ओन एंड ऑपरेट (बीओओ) आधार पर स्थापित किया जाएगा.
कंपनी ने दी जानकारी
जेनसोल इंजीनियरिंग के प्रबंध निदेशक अनमोल जग्गी ने कहा कि भारत सरकार ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के जरिये इन हाइड्रोजन वैली को बढ़ावा देने में एक बड़ा कदम उठाया है. हम भारत में ग्रीन हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिए महाराष्ट्र के पुणे में विशेष रसायन क्षेत्र को चौबीसों घंटे ग्रीन हाइड्रोजन की आपूर्ति करने जा रहे हैं. कुरकुंभ क्षेत्र में ग्रीन हाइड्रोजन वैली राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (एनसीएल) पुणे द्वारा समर्थित है.
ग्रीन हाइड्रोजन को सरकार ला चुकी है पॉलिसी
केंद्र सरकार ने 17 फरवरी 2022 को ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया पॉलिसी को नोटिफाई किया था. इस पॉलिसी की मदद से सरकार 2030 तक डोमेस्टिक ग्रीन हाइड्रोजन प्रोडक्शन को 5 मिलियन टन तक पहुंचाना चाहती है. लॉन्ग टर्म में सरकार का मकसद भारत को क्लीन फ्यूल का एक्सपोर्टर बनाना है. ग्रीन हाइड्रोजन को पानी से तैयार किया जाता है. इसमें पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में तोड़ दिया जाता है. सरकार के इस विजन को सच करने के लिए देश की सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) कार्बन उत्सर्जन वाली इकाइयों को बदलने के लिए 2024 तक अपनी मथुरा और पानीपत रिफाइनरियों में ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट स्थापित करेगी.