नई दिल्ली। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के आगमन से पहले राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है। सत्तारूढ़ महायुति (भाजपा, शिवसेना और एनसीपी का गठबंधन) के प्रमुख दल एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने पहली बार मुख्यमंत्री बनने की अपनी इच्छा का खुलासा किया है। पुणे के दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर में पूजा के बाद पवार ने कहा, “हर किसी की तरह मुझे भी मुख्यमंत्री बनने की इच्छा है। लेकिन मुख्यमंत्री बनने के लिए बहुमत तक पहुंचना होता है। हर किसी की इच्छा पूरी नहीं होती।”
पवार ने यह भी स्पष्ट किया कि विधानसभा चुनाव में महायुति का नेतृत्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के हाथ में रहेगा। उन्होंने कहा, “हम सभी महायुति को सत्ता में लाने के लिए प्रयासरत हैं। चुनाव के बाद हम मिलकर मुख्यमंत्री के चयन पर फैसला करेंगे।”
इस समय, शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग कर रहे हैं, जबकि कुछ भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस को फिर से मुख्यमंत्री बनाने की कोशिशों में जुटे हैं। एनसीपी के कुछ नेताओं ने भी अजित पवार को मुख्यमंत्री के रूप में प्रचारित करने वाले पोस्टर लगाए हैं, जिससे महायुति में सियासी माहौल और भी गर्म हो गया है।
उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में कहा कि मुख्यमंत्री पद पर निर्णय भाजपा की संसदीय बोर्ड द्वारा लिया जाएगा और यह निर्णय एनडीए के प्रमुख नेताओं द्वारा लिया जाएगा, जिसे सभी स्वीकार करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि महायुति के सहयोगियों के बीच इस मुद्दे पर कोई असहमति नहीं है और हम शिंदे के नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे। मगर अजित पवार के इस बयान ने महाराष्ट्र की सियासत में हलचल मचा दी है और महायुति के अंदरूनी माहौल को लेकर अटकलों का बाजार गर्म कर दिया है।