मैं नेता हूँ,
तुम्हारे विस्वास, वफा के बदले
बस छल ही देता हूँ,
मैं नेता हूँ…
न करना मुझसे उम्मीद
वफ़ा की , मोहब्बत की
क्योकि ये फितरत न है हमारी…
टांग आया हूँ पीछे
बहुत पीछे पुराने घर के खूंटी पर
वफा, मोहब्बत, इंसानियत, संवेदनाएँ…
सुनों अब मेरे आगे इनका नाम न लेना…
जो लेकर चलता है इन्हें
वो न होता है सफल यहाँ…
हमें तो सेकनी हैं रोटियाँ…
लोगों के दर्द पर
लोगों के बहते न भरते जख्म पर
हमें तो बस मतलब है अपने वोटों से
जो तुमसे लेना मैं जानता हूँ —
मैं नेता हूँ,
मैं तुम तक आऊंगा
हरबार वफा के सपने दिखाऊंगा
तुमसे वोट ले फिर मुकर जाऊँगा…
न बनेगा ऐसे काम तो
तुम्हे आपस में लड़वाऊंगा…
कभी जाति की दुहाई दूंगा
कभी धर्म की नस दबाऊंगा…
इससे भी न बने बात तो
तुम्हारे आगे सौ सौ आँसूं बहाऊंगा…
तुम्हारी संवेदनाएँ हरहाल में जगाऊंगा…
पर तुमसे तुम्हारा वोट लेकर ही जाऊँगा…
मैं नेता हूँ,
तुम्हारी वफा के बदले बस
छल ही देता हूँ ,
क्योकि मैं नेता हूँ !