अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में उत्तराखंड के विभिन्न जनपदों में स्थापित रक्तकोषों के चिकित्सा अधिकारियों तथा तकनीकी सहायकों के लिए “केंद्रीकृत उन्नत टी.टी.आई. परीक्षण” विषय पर सीएमई का आयोजन किया गया। जिसमें राज्यभर के चिकित्साधिकारियों व तकनीशियनों ने प्रतिभाग किया।
रक्त का आधान अब एक अस्पताल की स्थापना में महत्वपूर्ण सहायक उपचार पद्धति में से एक बन गया है। चिकित्सा प्रौद्योगिकी की प्रगति के साथ, रक्त अवयवों की मांग भी बढ़ रही है। प्रत्येक आधान के साथ हमेशा एक जोखिम होता है, जिसे केवल कम किया जा सकता है लेकिन कभी समाप्त नहीं किया जा सकता।सुरक्षित रक्त प्रदान करने के लिए एम्स, ऋषिकेश के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग ने दान किए गए रक्त की जांच के लिए सर्वोत्तम परीक्षण तकनीकों में से एक को अपनाया हुआ है। विभाग पिछले 3 वर्षों से ID-NAT जांचा हुआ रक्त मरीजों को उपलब्ध करा रहा है। विशेषज्ञों द्वारा बताया गया कि यह परीक्षण संक्रमणों की विंडो अवधि को कम करके आधान संचरित संक्रमणों के जोखिम को कम करता है।
गौरतलब है कि हाल ही में एम्स ऋषिकेश और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तराखंड के बीच उत्तराखंड राज्य के अन्य रक्त कोष केंद्रों में दान किए गए रक्त के लिए इस आईडी-नैट टेस्टिंग सुविधा के केंद्रीकृत उपयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया था। लिहाजा इसके बाद से एम्स ऋषिकेश अपने रक्तकोष में दान किए गए रक्त के अलावा उत्तराखंड के अन्य रक्तकोषों में एकत्रित किए गए रक्त की भी NAT टेस्टिंग का कार्य करेगा।
इस प्रक्रिया के तहत “केंद्रीकृत उन्नत टी.टी.आई. परीक्षण” विषय पर प्रथम सीएमई का आयोजन किया गया। जिसमें राज्यभर में विभिन्न रक्त केंद्रों के प्रतिभागियों ने एनएटी टेस्टिंग के बुनियादी तकनीकी पहलुओं व उसके विभिन्न चरणों का प्रशिक्षण लिया। इस दौरान उन्हें विशेषज्ञों द्वारा रक्त परीक्षण संबंधी सभी तरह की तकनीकी प्रक्रियाओं से अवगत कराया गया। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक एवं सीईओ पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी ने कहा कि एम्स ऋषिकेश कई उन्नत परीक्षण कर रहा है। उन्होंने बताया कि दान किए गए रक्त का NAT टेस्टिंग उन्नत रक्त केंद्रों में ही उपलब्ध होता है, जिसके लिए एम्स ऋषिकेश में पूर्व से ही यह सुविधा है।
एनएचएम के इंचार्ज ब्लड सेल डॉ. वी.एस. टोलिया के अनुसार एम्स ऋषिकेश नैट टेस्टिंग द्वारा मरीजों को सुरक्षित रक्त उपलब्ध करा रहा है, इसी क्रम में अब यह सुविधा उत्तराखंड में राज्य सरकार के अन्य ब्लड बैंकों तक भी पहुंचाई जाएगी ।एम्स के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. गीता नेगी ने सीएमई में नैट टेस्टिंग की आवश्यकता और महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने सीएमई में शामिल हुए अन्य ब्लड बैंक प्रभारियों को व्याख्यान और लाइव कार्यशाला के माध्यम से NAT परीक्षण प्रक्रिया के बारे में प्रशिक्षित किया ।
विभाग की अन्य फैकल्टी सदस्य डॉ. दलजीत कौर और डॉ. आशीष जैन ने बताया कि उत्तराखंड के रक्त केंद्रों के लिए यह पहला प्रेरण प्रोग्राम था, साथ ही समाज के बड़े वर्ग की सेवा के लिए इस तरह के इंटरेक्टिव कार्यक्रम नियमित अंतराल पर आयोजित किए जाएंगे।एम्स के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की ओर से ने सभी रक्तकोष प्रतिभागियों का इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया गया। इस अवसर पर उत्तराखंड एन.एच.एम. से मनीष नेगी आदि मौजूद थे। कार्यशाला में राज्यभर के 10 ब्लड बैंकों के चिकित्साधिकारियों व तकनीकि सहायकों ने प्रतिभाग किया