भोपाल: भारत निर्वाचन आयोग ने एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। इस निर्देश में कहा गया है कि लोकसभा चुनाव के दौरान किसी भी उम्मीदवार के द्वारा आयोजित सामुदायिक भोज, लंगर या दावत का खर्च अब उसी के चुनावी खर्च में शामिल किया जाएगा।
आयोग के निर्देशों के अनुसार, यदि कोई उम्मीदवार मतदाताओं से मिलने के लिए किसी ऐसे आयोजन में शामिल होता है, तो उस आयोजन पर किए गए सभी खर्चों को उम्मीदवार के चुनावी खर्च के रूप में माना जाएगा और उसे उसके निर्वाचन खर्च में जोड़ा जाएगा।
हालांकि, आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह नियम उन पारंपरिक धार्मिक समूहों द्वारा आयोजित सामुदायिक कार्यक्रमों पर लागू नहीं होगा, जो केवल मतदाताओं से मिलने के उद्देश्य से आयोजित नहीं किए गए हैं।
यदि कोई उम्मीदवार किसी भोज कार्यक्रम में भाग लेता है, चाहे उसका नाम कुछ भी हो और चाहे उसका आयोजन स्वयं उम्मीदवार या किसी अन्य व्यक्ति ने किया हो, तो उसे उस भोज का आयोजक माना जाएगा। यह निर्देश उन पारंपरिक भोजों पर लागू नहीं होगा जो धार्मिक समुदाय अपने संस्थानों में आयोजित करते हैं, जैसे कि लंगर, शादी या मृत्यु के अवसर पर आयोजित भोज आदि। यदि अभ्यर्थी इन सामुदायिक भोजों, लंगर या दावतों में सामान्य मेहमान के रूप में भाग लेता है, तो इन पर किए गए खर्च को उसके चुनावी खर्च में शामिल नहीं किया जाएगा।