नई दिल्ली. पिछले एक साल में बहुत से लोगों ने अपनी कंपनियां बदली होंगी. वैसे तो यह नियोक्ता की जिम्मेदारी होती है कि वह अपने मौजूदा और पूर्व कर्मचारियों को संबंधित वित्तवर्ष का फॉर्म-16 उपलब्ध कराए, लेकिन अगर किसी कारण से आपकी कंपनी नहीं दे रही है तो घबराने की जरूरत नहीं. नौकरीपेशा व्यक्ति को आईटीआर भरने के लिए भले ही फॉर्म-16 की जरूरत होती है, लेकिन इसके बिना भी आपका रिटर्न दाखिल हो जाएगा. यह काम आप कैसे पूरा करेंगे, हम आपको इसकी पूरी जानकारी दे रहे हैं.
इनकम टैक्स विभाग ने अब टैक्सपेयर्स की मुश्किलों को हल करते हुए प्री-फिल्ड आईटीआर फॉर्म देना शुरू कर दिया है. ऐसे में आपकी काफी मुश्किलें तो वैसे ही हल हो जाती हैं. इसके अलावा इनकम टैक्स विभाग की ओर से हर करदाता को फॉर्म 26एएस और आईएएस जारी किया जाता है. इन दोनों फॉर्म में भी आपकी कमाई और निवेश का ब्योरा रहता है. इनकी मदद से आपका काम काफी आसान हो जाएगा.
सैलरी स्लिप और फॉर्म 26 एएस मददगार
आपके पास फॉर्म 16 भले ही न हो लेकिन सैलरी स्लिप तो मिल ही जाएगी. इसमें आप देख सकते हैं कि आपको सालभर में कितने पैसे का भुगतान हुआ है. सैलरी स्लिप में आपके डिडक्शन भी शामिल होते हैं. कंपनी जो भी टीडीएस काटती है, उसका ब्योरा भी सैलरी स्लिप में रहता है. ऐसे में आप फॉर्म 26एएस को सैलरी स्लिप से मिलाकर यह देख लीजिए कि कितना टीडीएस काटा गया है, क्योंकि इसका ब्योरा दोनों में होता है.
अपने निवेश और कमाई का ब्योरा रखें
अगर आपके पास फॉर्म 16 नहीं है तो अपने तमाम दस्तावेज इकट्ठा कर लें, जैसे बैंक स्टेटमेंट, निवेश प्रूफ, किराये की रसीद आदि. इससे आपको अपनी कमाई और निवेश का पता चल जाएगा. इसमें देख लीजिए कि टैक्स बचाने वाले निवेश कौन-कौन से हैं. अब अपनी कैश इन हैंड सैलरी में से डिडक्शन वाली राशि को घटा दीजिए. ध्यान रहे कि इसमें 50 हजार का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी शामिल है. इससे आपको टैक्सेबल इनकम का पता चल जाएगा.
फिर अपने स्लैब को देखें
एक बार टैक्सेबल इनकम का पता चलने के बाद आप अपने स्लैब को देखें कि इस इनकम टैक्स स्लैब में आते हैं. जैसे ही आप सारी जानकारी डालकर इनकम टैक्स की वेबसाइट पर कैलकुलेट करेंगे तो आपकी टैक्स देनदारी सामने दिख जाएगी. अगर कोई देनदारी है तो आपको चुकाना पड़ेगा, वरना काटे गए टीडीएस का आपको रिफंड मिल जाएगा.