मॉस्को: रूस और यूक्रेन के बीच लगातार युद्ध जारी है। इस बीच पुतिन परमाणु युद्ध की धमकी दे चुके हैं। रूस के पास परमाणु हथियारों का जखीरा है। इतना ही नहीं, रूस के पास ‘डेड हैंड’ सिस्टम भी है, जो एक बार में 1,600 न्यूक्लियर मिसाइल दाग सकता है। इस सिस्टम के कारण कोई भी देश रूस पर हमला करने से पहले हजार बार सोचता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस के पास 6000 परमाणु हथियार हैं, जिनमें से 1,600 हमेशा दागे जाने के लिए तैयार हैं। ये रूस के डेड हैंड परमाणु हथियार प्रणाली से जुड़े हैं। डेड हैंड दुनिया के सबसे विनाशकारी न्यूक्लियर सिस्टम में से एक माना जाता है, जिसे शीत युद्ध के दौरान बनाया गया था।
विशेषज्ञ इस सिस्टम को डूम्सडे डिवाइस भी कहते हैं जो एक बार में अपने सभी न्यूक्लियर हथियारों को फायर कर सकता है। डेड हैंड एक ऑटोमैटिक हथियार प्रणाली है, जिसे परमाणु हमले का जवाब देने के लिए डिजाइन किया गया है। अगर रूस पर परमाणु हमला हो जाता है तो ये सिस्टम ऑटोमैटिक तरीके से दुश्मन पर हमला शुरू कर देगा। इस प्रणाली का विकास इसलिए किया गया है कि अगर एक परमाणु हमले में सभी रूसी अधिकारी मारे जाएं तो भी दुश्मन पर हमला हो सके।
ऐसे काम करता है सिस्टम
ये सिस्टम पहले वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के संकेतों की जांच करता है। अगर सिस्टम को किसी के जिंदा होने का सबूत नहीं मिलता तो ये परमाणु हमले के संकेतों की जांच शुरू कर देगा। डेड हैंड प्रकाश, रेडिएशन के स्तर, भूकंप, वायु दाब गर्मी को मापकर परमाणु हमले का पता लगाएगा। अगर हमाले की पुष्टि होती है तो डेड हैंड एक्टिवेट हो जाएगा। इसके एक्टिवेट होते ही सेना के जनरल स्टाफ के पहले से एंटर किए हुए आदेश को देश के सभी न्यूक्लियर कमांड साइलो को भेज दिया जाएगा। माना जाता है कि संकेत बॉम्बर और पनडुब्बियों को भी पहुंचेगा। इसके बाद मिसाइल के साइलो में परमाणु हमले से सुरक्षित बचे लोग अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों को लॉन्च कर देंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक ये खतनार हथियार प्रणाली मॉस्को के दक्षिण में कहीं एक सैन्य बंकर में स्थित है।
पूरी तरह ऑटोमैटिक है सिस्टम
डेलीस्टार की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में अमेरिकी वायुसेना के परमाणु प्रक्षेपण अधिकारी डॉ ब्रूस ब्लेयर ने कहा था कि ये सिस्टम तीन सदस्यों के जरिए ऑपरेट किया जाता है, जिसका एकमात्र काम ये सुनिश्चित करना है कि सिस्टम काम कर रहा है। उन्होंने कहा था कि इसे ऑन करने के अलावा ये पूरी तरह ऑटोमैटिक है। ये तीन क्रू मेंबर कोई हाई रैंकिग अधिकारी नहीं होते हैं। ये सिर्फ कुछ चेकलिस्ट फॉलो करते हैं। इस सिस्टम में इंसानों का दखल न के बराबर है, जो इसे परमाणु युद्ध रोकने के लिए वैध और नैतिक बनाता है। हालांकि ये सिस्टम सिर्फ संकट के समय एक्टिवेट करने के लिए बनाया गया था, लेकिन कथित तौर पर ये 2009 से ही एक्टिवेट है। 2011 में रूसी कमांडर सर्गेई कराकेव ने एक इंटरव्यू में कहा था कि डेड हैंड अभी भी ऑपरेशन में है। उन्होंने तब कहा था, ‘डेड हैंड आज भी अस्तित्व में है और काम कर रहा है। जरूरत के समय इससे सिग्नल भेजा जा सकेगा।’
परमाणु युद्ध का खतरा बढ़ा
इस विनाशकारी हथियार प्रणाली का एक्टिव होना पश्चिमी देशों और रूस के बीच परमाणु युद्ध की आशंका को बढ़ाने वाला है। ऐसा इसलिए क्योंकि यूक्रेन के साथ युद्ध में रूस को वह कामयाबी नहीं मिली है, जिसकी उसे उम्मीद थी। कई मोर्चों पर उसे हार का सामना करना पड़ा है। कई बार रूस परमाणु युद्ध की धमकी भी दे चुका है। हाल ही में रूस ने ऑपरेशन थंडर का अभ्यास किया, जहां सेना ने परमाणु युद्ध की स्थिति में जवाबी कार्रवाई की प्रैक्टिस की।