नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना में इस समय पायलटों की भारी कमी है. इससे ऑपरेशनल रेडिनेस की तैयारी में दिक्कत आएगी. यानी अचानक से कई फ्रंट पर जरूरत पड़ जाए तो इंडियन एयरफोर्स के पास पायलट कम हैं. ये खुलासा किया है कॉम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) ऑफ इंडिया ने. इस पर रक्षा मामलों की संसदीय समिति ने भी अपनी चिंता जाहिर की है. कहा है कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता का विषय है.
कैग रिपोर्ट ने इंडियन एयरफोर्स में पायलटों की कमी के आंकड़ें बताए हैं. फरवरी 2015 में 486 पायलटों की कम थी. जो 2021 के अंत तक 596 हो गई. जबकि 2016 से 2021 के बीच 222 ट्रेनी पायलटों को भर्ती करने का प्लान था. लेकिन वायुसेना टारगेट अचीव नहीं कर पाई. अब स्थिति गंभीर हो गई है.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि पायलटों की भर्ती में कई प्रकार की चुनौतियां होती हैं. इसलिए ये कमी महसूस की जा रही है. कॉमर्शियल एविएशन सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है. घरेूल और अंतरराष्ट्रीय दोनों. वहां पैकेज ऑफर ज्यादा बेहतर हैं. लाइफस्टाइल संतुलित और स्थिर है. अनुभवी मिलिट्री पायलट्स सर्विस से निकल कर वहां जा रहे हैं.
नए पायलट को ट्रेनिंग चुनौतीपूर्ण काम
नए पायलट को ट्रेनिंग देकर उसे तैयार करना एक चुनौती भरा काम है. इसमें काफी समय लगता है. कई बार तो एक पायलट को तैयार करने में वर्षों लग जाते हैं. तब जाकर वह पूरी तरह से उड़ान के लायक बनता है. कैग ने यह भी लिखा है कि Pilatus PC-7 MK-2 ट्रेनर एयरक्राफ्ट के ऑपरेशनल इश्यू की वजह से भी ट्रेनिंग पाइपलाइन में है.
42 स्क्वॉड्रन चाहिए, हैं सिर्फ 31 ही
संसदीय समिति ने देखा कि पायलट-टू-सीट रेशियो 1.25:1 प्रत्येक फाइटर जेट के लिए हैं. शांति के समय ये ठीक है. लेकिन जब जंग की स्थिति होगी तब ये स्थिति गंभीर हो सकती है. मानव संसाधन की कमी तो है ही इसके साथ ही वायुसेना इस समय31 स्क्वॉड्रन्स के साथ अपनी ड्यूटी परफॉर्म कर रही है. जबकि होने चाहिए 42.
नए एयरक्राफ्ट्स के आने और पुराने को हटाने में समय लग रहा है. इन सबकी वजह से भारतीय वायुसेना की एरियल कॉम्बैट कैपेबिलिटी कमतर होती चली जाएगी. कैग और संसदीय समिति की रिपोर्ट ने तत्काल और तेजी से इन दोनों दिशाओं की तरफ सरकार को कदम उठाने को कह चुकी है. साथ ही रक्षा मंत्रालय को भी.
रिक्रूटमेंट प्रोसेस तेज हुआ, महिला भागीदारी बढ़ी
वायुसेना ने एयरफोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट (AFCAT) और एयर फोर्स सेलेक्शन बोर्ड (AFSB) ने रिक्रूटमेंट प्रोसेस को तेज किया है. इसे डिजिटल कैंपने दिशा के तहत नई शुरूआत दी गई है. वायुसेना सूत्र बताते हैं कि ट्रेनर एयरक्राफ्ट के ऑपरेशनल इश्यू, ट्रेनिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने और नई भर्तियों पर तेजी से काम चल रहा है.
संसदीय समिति की रिपोर्ट में यह बात भी मेंशन की गई है कि वायुसेना अधिकारियों में अब 14 फीसदी महिलाएं हैं. उन्हें कॉम्बैट सर्विस में भी डाला जा रहा है. जिसमें महिला वायुसैनिक तेजी से बढ़ रही हैं. अग्निवीर वायु के तहत भी महिलाओं के भर्ती हो रही है.