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बाबा आंबेडकर का मुद्दा ऐसा, जिसके नाम पर पूरा विपक्ष एकजुट

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
20/12/24
in राजनीति, राष्ट्रीय
बाबा आंबेडकर का मुद्दा ऐसा, जिसके नाम पर पूरा विपक्ष एकजुट
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नई दिल्ली: अंत भला तो सब भला. संसद के शीत कालीन सत्र को कांग्रेस इसी भाव से ले रही होगी. 18वीं लोकसभा का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को खत्म हो गया है. 25 नवंबर से शुरू हुआ सत्र आखिर तक हंगामेदार रहा – और 19 दिसंबर को तो सांसदों के बीच धक्का-मुक्की के बाद मामला दिल्ली पुलिस तक पहुंच गया. नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ भी FIR हुई है. और, अब तो सुनने में आ रहा है कि क्राइम ब्रांच जांच करने वाली है.

अमित शाह ने अपनी तरफ से सफाई भी दी. कांग्रेस नेतृत्व और पार्टी की पुरानी सरकारों को कठघरे में खड़ा करने की भी कोशिश की, लेकिन बवाल थमा नहीं बल्कि बढ़ता ही गया. कांग्रेस अमित शाह से आंबेडकर पर दिये गये बयान के लिए माफी मांगने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बर्खास्त करने की मांग पर अड़ी रही, लेकिन मोदी ने शाह का ही सपोर्ट किया है.

19 दिसंबर को दोनो तरफ से विरोध प्रदर्शन होने लगे. अमित शाह के पक्ष में भी, और खिलाफ भी. और तभी दोनो तरफ के सांसदों में धक्का-मुक्की हो गई. चूंकि मामला अडानी से आंबेडकर पर शिफ्ट हो चुका था, लिहाजा ऐसे मुद्दे पर विवाद शुरू हो गया, जिस पर मजबूरन विपक्षी दलों को कांग्रेस के साथ खड़ा होना पड़ा है – और राहुल गांधी के लिए तो जैसे बिल्ली का भाग्य से छींका ही फूट गया.

आंबेडकर के नाम पर विपक्ष और सत्तापक्ष आमने-सामने

देखा जाये तो राहुल गांधी की कानूनी मुश्किलों में इजाफा जरूर हो गया है, लेकिन उसके अलावा फायदा ही फायदा है. बीजेपी की तरफ से दर्ज कराई गई शिकायत के बाद कांग्रेस की तरफ से भी बीजेपी के सांसदों के खिलाफ क्रॉस एफआईआर की तहरीर दी गई है.

पुलिस शिकायत के साथ साथ संसद में भी दोनो तरफ से विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया गया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ ऐसे दो नोटिस दिये गये हैं, जिनमें एक टीएमसी नेता डेरेक ओ’ब्रायन की तरफ से और दूसरा राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर से.

राहुल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन और सदन के अपमान का नोटिस स्पीकर ओम बिरला के पास भेजा गया है. ये नोटिस बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने दिया है. धक्का-मुक्की के दौरान भी निशिकांत दुबे को राहुल गांधी के खिलाफ काफी आक्रामक रूप में देखा गया था.

आंबेडकर के नाम पर पूरा विपक्ष एकजुट

आंबेडकर का मुद्दा ऐसा है जिसने लगभग पूरे विपक्ष को एकजुट कर दिया है. तृणमूल कांग्रेस अब भी थोड़ी दूरी बनाकर चलती हुई लगती है, लेकिन विशेषाधिकार हनन का नोटिस तो डेरेक ओ’ब्रायन ने दिया ही है.

ये भी देखने को मिल रहा था कि तृणमूल कांग्रेस ने अडानी के मुद्दे पर कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था. मल्लिकार्जुन खड़गे की बुलाई बैठकों से दूरी बनाने के साथ साथ ममता बनर्जी ने तो इंडिया ब्लॉक में नेतृत्व बदलकर अपने हवाले करने की मुहिम ही चला रखी थी, लगता है अब वो थम जाएगा.

बीएसपी नेता मायावती की तो अपनी अलग ही स्टाइल होती है, लेकिन मामला आंबेडकर का है, तो चुप रहना तो खतरनाक ही होगा. मायावती ने भी अमित शाह के बयान के लिए बीजेपी पर हमला बोला है. हमले की धार को बैलेंस करते हुए मायावती ने राहुल गांधी की टी-शर्ट के रंग पर भी आपत्ति जताई है, और कांग्रेस की सस्ती राजनीति करार दिया है.

कांग्रेस के लिए समाजवादी पार्टी का सपोर्ट न मिलना सबसे राहुल गांधी के लिए सबसे बड़ी बात है. पहले तो समाजवादी पार्टी के सांसद लाल टोपी पहने संसद परिसर में ही अलग से प्रदर्शन कर रहे थे. प्रदर्शन में सपा महासचिव रामगोपाल यादव भी शामिल थे. जैसे ही राहुल गांधी ने पहुंच कर सपा सांसदों से हाथ मिलाया, और उसके बाद वे भी कांग्रेस के साथ मिलकर प्रदर्शन करने लगे.

अरविंद केजरीवाल को आम आदमी पार्टी ने AI के बनाये वीडियो में आंबेडकर से आशीर्वाद मांगते और लेते दिखाया है. ये तो उनकी अपनी राजनीति है, लेकिन विपक्ष के साथ भी वो खड़े नजर आते हैं, भले ही मन से वो राहुल गांधी के साथ न हों.

अरविंद केजरीवाल ने टीडीपी नेता एन. चंद्रबाबू नायडू और जेडीयू नेता नीतीश कुमार को भी पत्र लिखा है, और बताया है कि कैसे अमित शाह के बयान से देश के लाखों लोगों की भावनायें आहत हुई हैं.

एक तरह से अरविंद केजरीवाल नीतीश कुमार और नायडू को भी को भी विपक्ष का साथ देने की सलाह दे रहे हैं. असल में, एनडीए की केंद्र सरकार दोनो नेताओं की बैसाखी से ही खड़ी है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अपने बूते बहुमत नहीं मिला है – भला राहुल गांधी के लिए इंडिया गठबंधन में इससे अच्छी बात क्या होगी.

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