नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव के नतीजों के सामने आने के बाद अब मोदी सरकार 3.0 का रास्ता साफ हो गया है. बीजेपी की अगुवाई में एनडीए सरकार बनने की तैयारियां शुरू हो गईं हैं. मगर इंडिया ब्लॉक ने अब भी उम्मीद नहीं छोड़ी है. एन केन प्रकारेण इंडिया गठबंधन संभावनाओं की तलाश में जुटा है. पहले इंडिया गठबंधन ने इस काम के लिए शरद पवार को लगाया था. अब इसकी बागडोर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संभाल रखी है. कांग्रेस ने पहले शरद पवार को नीतीश-चंद्रबाबू नायडू से बात करने को कहा था. अब ममता बनर्जी खुद इंडिया गठबंधन की संभावनाओं को तलाशने में जुटी हैं.
यही वजह है कि ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी दिल्ली में चक्कर काट रहे हैं. उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी ने दिल्ली में आप नेताओं और सपा के नेता अखिलेश यादव से मुलाकात की थी. इसके बाद फिर वह मुंबई जाकर उद्धव ठाकरे से मिले थे. खबरों के मुताबिक ममता और उद्धव ठाकरे ने नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू से बातचीत करने का जिम्मा अखिलेश यादव को सौंपा है.
फिलहाल ‘इंडिया’ ब्लॉक ने एनडीए खेमे में हो रहे घटनाक्रम पर नजर रखने और प्रतीक्षा करने तथा उचित समय पर उचित कदम उठाने का फैसला लिया है. लेकिन विपक्षी गठबंधन में कुछ पार्टियां, विशेषकर टीएमसी और शिवसेना (यूबीटी) और कुछ हद तक आप, अभी बीजेपी को मात देने के लिए दल की संख्या बढ़ाने के लिए विकल्प तलाशने पर जोर दे रही हैं।
सूत्रों ने बताया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने चुनाव नतीजों के दिन ही सपा के अखिलेश यादव से बात की थी. ममता ने उनसे टीडीपी के एन चंद्रबाबू नायडू और जेडी(यू) के नीतीश कुमार से संपर्क करने को कहा था. नीतीश के अखिलेश यादव के साथ अच्छे समीकरण थे. वहीं चंद्रबाबू नायडू 1990 के दशक के मध्य में संयुक्त मोर्चा के दिनों से उनके दिवंगत पिता मुलायम सिंह यादव के साथी थे.
गुरुवार को ममता बनर्जी के भतीजे और टीएमसी के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी और पार्टी के सहयोगी डेरेक ओ ब्रायन ने नई दिल्ली में अखिलेश यादव से दोबारा मुलाकात की थी. सूत्रों ने बताया कि आप का भी मानना है कि इंडिया ब्लॉक में और पार्टियों को शामिल करने के विकल्प तलाशे जाने चाहिए. आप नेता संजय सिंह और राघव चड्ढा ने भी अभिषेक बनर्जी से मुलाकात की. सपा के सूत्रों के मुताबिक अखिलेश यादव को उम्मीद नहीं है कि नायडू या कुमार इतनी जल्दी पाला बदल लेंगे. मगर वे तृणमूल नेताओं की इस राय से सहमत हैं कि विपक्षी गठबंधन को भाजपा को लगातार बैकफुट पर रखना चाहिए।