नई दिल्ली: हिंदी पंचांग के अनुसार, इस साल पितृ पक्ष का आरंभ 17 सितंबर से आरंभ हो चुका है, जो 2 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या के साथ समाप्त होगा। ऐसे में इन 16 दिनों तक पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष के दौरान पितर धरती पर ही वास करते हैं। ऐसे में पितरों का तर्पण करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और वह आशीर्वाद देते हैं। पितृ पक्ष के दौरान कुछ उपाय करके आप पितृ दोष से भी मुक्ति पा सकते हैं। आइए जानते हैं पितृ पक्ष के दौरान किस उपाय को करने से पितृ पक्ष के साथ-साथ काल सर्प दोष के दुष्प्रभाव कम हो सकते हैं…चलिए जानते हैं
क्या है पितृ दोष?
जिस जातक की कुंडली में पितृ दोष होता है, तो उसे ग्रहों की स्थिति, गोचर, दशाओं में किसी भी प्रकार का परिवर्तन होने से शुभ फलों की प्राप्ति नहीं होती है। पितृदोष पितरों के दुखी होने के कारण लगता है। ऐसे में व्यक्ति को संतान सुख से वंचित होना पड़ता है। इसके अलावा करियर, व्यापार में कोई न कोई समस्या बनी रहती है। इसके साथ ही घर में सुख-शांति नहीं रहती है और घर में कोई न कोई बीमार पड़ा रहता है।
पितृ दोष के उपाय
अगर आप चाहते हैं कि आपकी कुंडली से पितृ दोष समाप्त हो जाएं, तो इन 16 दिनों तक भगवान शिव की विधिवत पूजा करें। इसके साथ ही रोजाना एक-एक चावल शिवलिंग और अशोक सुंदरी में चढ़ाएं।
रोजाना नित्य कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद दो कच्चे चावल के दाने के साथ एक लोटा जल ले लें। इसके बाद शिव मंदिर जाएं और सबसे पहले एक चावल शिवलिंग में और दूसरा जलाधारी के बीच में रखें जहां पर माता अशोक सुंदरी रहती है। इसके बाद एक लोटे को पहले अशोक सुंदरी को अर्पित करें और फिर शिवलिंग को अर्पित करें। इसके साथ ही अपने गोत्र का नाम लेने के साथ पितरों का स्मरण करें। ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही शिव जी प्रसन्न होते हैं, जिससे काल सर्प दोष का भी प्रभाव कम हो जाता है।