देहरादून : राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए प्राणों का बलिदान देने वाले उत्तराखंड के शहीद सैनिकों के आश्रितों को पुनर्वास के लिए दो विकल्प मिल सकते हैं। वर्तमान व्यवस्था के तहत शहीद आश्रित को सरकारी नौकरी देने का प्रावधान तो है। लेकिन यदि कोई आश्रित नौकरी के बजाए एकमुश्त आर्थिक सहायता लेने का इच्छुक होगा तो उसे यह सुविधा भी दी मिलेगी।
यह एकमुश्त राशि 50 लाख रुपये या इससे भी अधिक हो सकती है। कार्मिक विभाग के सुझाव पर सैनिक कल्याण विभाग इसका प्रस्ताव तैयार कर रहा है। यह है वजह वर्ष 2018 में राज्य सरकार ने शहीद सैनिकों के आश्रितों के पुनर्वास के लिए उन्हें सरकारी नौकरी देने की व्यवस्था लागू की थी। इसके तहत उनके लिए वर्ग घ और ग के पदों को तय किया गया था।
अब तक 13 से ज्यादा शहीद आश्रितों को विभिन्न विभागों में नौकरी मिल भी चुकी है। लेकिन हालिया कुछ समय से दो समस्याएं सामने आ रही हैं। एक तो पदों की कमी है और दूसरा यह कि कुछ मौकों पर पाया गया कि शहीद आश्रित शैक्षिक रूप से सरकारी नौकरी के लिए पात्र नहीं होते। साथ ही बच्चे छोटे होने की वजह से उन्हें सेवा में लिया नहीं जा सकता और माता अल्पशिक्षित होने की वजह सेवा के लिए पात्र नहीं होतीं। हाल में सैनिक कल्याण विभाग ने कार्मिक विभाग से पद बढ़ाने की मांग की थी।
सूत्रों के अनुसार, कार्मिक विभाग ने सुझाव दिया कि शहीद आश्रितों के लिए दो विकल्प रखे जाने चाहिए। नौकरी के साथ एकमुश्त आर्थिक सहायता का विकल्प भी दिया जाना चाहिए। मालूम हो कि किसी सैनिक की शहादत होने पर उसके आश्रितों का तत्काल सहायता के रूप में वर्तमान में दस लाख रुपये देने का प्रावधान है। नए प्रस्ताव की राशि इससे अलग होगी।