उत्तरकाशी: बारह नवंबर दिवाली के दिन से उत्तरकाशी के यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडालगांव तक जिस निमार्णाधीन सुरंग के अंदर भूस्खलन होने से काम कर रहे 41 से मजदूर फंसे, उसकी लंबाई 4.5 किमी निर्धारित की गई थी और इसमें अभी 500 मीटर का निर्माण बाकी रह गया था। इस बीच भूस्खलन होने से इस सुरंग के निर्माण में रुकावट आ गई। इस सुरंग को अगले साल फरवरी तक पूरा करने लक्ष्य रखा गया था।
सुरंग का निर्माण एनएचआइडीसीएल के निर्देशन में नवयुग कंपनी कर रही है। इस सुरंग में हादसा रविवार 12 नवंबर की सुबह पांच बजे हुआ था। सिलक्यारा की ओर सुरंग के द्वार से 200 मीटर की दूरी पर यह भूस्खलन हुआ था, जबकि जो मजदूर काम कर रहे थे वे बाहर के द्वार के 2800 मीटर अंदर फंसे। आलवेदर रोड परियोजना के तहत तैयार की जा रही इस सुरंग के निर्माण को पूरा करने का लक्ष्य पहले इस साल सितंबर तय किया गया था और काम में आ रही रुकावटों को देखते हुए इसका लक्ष्य आगे बढ़ाकर अगले साल 2024 फरवरी तक कर दिया गया था।
लेकिन इस हादसे के बाद अब इस सुरंग के बनने में और अधिक समय लगेगा । सूत्रों के मुताबिक इस सुरंग के निर्माण के समय जो मानक तय किए गए थे, वे पूरे नहीं किए गए थे और साथ ही इस सुरंग के कार्यों को लेकर केंद्र सरकार द्वारा जांच भी बैठा दी गई है। प्रधानमंत्री कार्यालय इस मामले को बारीकी से देख रहा है। तभी इस हादसे के बाद के प्रधानमंत्री कार्यालय के उच्च अधिकारियों ने समय-समय पर उत्तरकाशी में मौके पर जाकर घटना का बारीकी से अध्ययन किया।
रुड़की आईआईटी के सिविल विभाग के प्रोफेसर ड सत्येंद्र कुमार मित्तल का कहना है कि कोई भी सुरंग बनाने से पहले उसके साथ-साथ एक बाहर आने जाने का रास्ता बनाया जाता है और हर एक किलोमीटर के बाद सुरंग के भीतर मलबा हटाने के बाद सीमेंट और कंक्रीट से एक परत बिछाई जाती है ताकि भूस्खलन की संभावनाओं को काफी हद तक रोका जा सके।
प्रोफेसर मित्तल कहना है कि इन सब बिंदुओं की गहराई से जांच की जानी चाहिए ताकि भविष्य में बनने वाली अन्य सुरंग में इस तरह की कोई घटना ना घटे। उधर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में बनने वाली सभी सुरंग की जांच बैठा दी है और सुरंग बनने के मानकों की बारीकी से जांच की जा रही है।
सबसे ज्यादा मजदूर झारखंड और उत्तर प्रदेश से
उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे हुए 41 मजदूरों में आठ राज्यों के मजदूर हैं। इनमें सबसे ज्यादा मजदूर झारखंड के 14 शामिल हैं। उसके बाद उत्तर प्रदेश के 7, बिहार के 5 , ओड़ीशा के 4, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड के तीन-तीन, असम के 2 तथा हिमाचल प्रदेश के एक मजदूर शामिल है।