भोपाल : मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र में 2018 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने लगभग सभी सीटों पर जीत हासिल की। मगर यह क्षेत्र जिसका विभिन्न विचारधारा वाले दलों को जगह देने का इतिहास रहा है। कम्युनिस्ट से लेकर बसपा तक इस क्षेत्र में अपनी राजनीतिक पैठ बनाने की कोशिश करते हैं। यहां कांग्रेस पिछली बार की तुलना में ज्यादा सीटें जीतना चाहती है। वहीं पहली बार राज्य के विधानसभा चुनाव में उतरी आप भी खाता खुलने की उम्मीद लगाए हुए है।
आप को विधानसभा की आस
आम आदमी पार्टी (आप) संभवतः विंध्य क्षेत्र के जरिए राज्य विधानसभा में एंट्री करना चाहती है। क्षेत्र ने 1991 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार को पहली बार एमपी से लोकसभा भेजा था। इसके अलावा कम्युनिस्टों को भी प्रतिनिधित्व दिया है। उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे इस क्षेत्र में 30 विधानसभा सीटें हैं और यह मध्य प्रदेश के नौ पूर्वी जिलों – रीवा, शहडोल, सतना, सीधी, सिंगरौली, अनूपपुर, उमरिया, मैहर और मऊगंज (पिछले दो हाल ही में बनाए गए थे) में फैला हुआ है।
2018 में कांग्रेस को मिली थीं 6 सीट
2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस विंध्य क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करने में विफल रही और केवल छह सीटें जीत पाई थी। जबकि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 24 पर जीत हासिल हुई थी। आप को इस क्षेत्र से बहुत उम्मीदें हैं क्योंकि 2022 में सिंगरौली की मेयर सीट जीतकर पार्टी ने विंध्य के माध्यम से मध्य प्रदेश की राजनीति में प्रभाव डाला था। अब सिंगरौली की मेयर रानी अग्रवाल, जो आप की राज्य इकाई की अध्यक्ष भी हैं, सिंगरौली विधानसभा सीट से मैदान में हैं। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी इस क्षेत्र में एक नई है।
रिकॉर्ड तीन बार बसपा को मिली जीत
विंध्य ने तीन बार बसपा सांसद चुना है जोकि एक रिकॉर्ड है। यहां से 1991 में भीम सिंह पटेल, 1996 में बुद्धसेन पटेल और 2009 में देवराज सिंह पटेल – सभी रीवा निर्वाचन क्षेत्र से जीते थे। मायावती के नेतृत्व वाली पार्टी ने गुढ़ विधानसभा सीट से 1993 और 1998 में दो बार जीत हासिल की और उसके उम्मीदवार आईएमपी वर्मा 1993 से 2003 तक लगातार तीन बार मऊगंज से विजयी रहे। बसपा उम्मीदवार सुखलाल कुशवाह ने 1996 में सतना लोकसभा सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन सिंह को हराया जो कद्दावर नेता थे।
नई विचारधारा को अपनाने का इतिहास
क्षेत्र की राजनीतिक विविधता इस तथ्य से भी दिखती है कि क्षेत्र ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के उम्मीदवार के रूप में रामलखन शर्मा को 1993 और 2003 में दो बार और 1990 में जनता दल के टिकट पर रीवा जिले की सिरमौर विधानसभा सीट से चुना था। वहीं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के विधायक विशंभर नाथ पांडे 1990 में गुढ़ से चुने गए थे। मैहर के पूर्व भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी द्वारा गठित एक नया राजनीतिक संगठन- विंध्य जनता पार्टी बनाया गया है और वे विंध्य की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। त्रिपाठी 2003 में समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर एमपी विधानसभा के लिए चुने गए थे।
आप को बड़ी उम्मीदें
आप की चुनावी संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय संयुक्त सचिव पंकज सिंह ने पीटीआई को बताया कि उनका संगठन राज्य विधानसभा में एंट्री करने के लिए इस क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। आप ने अब तक राज्य भर में 70 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है, जिनमें से 17 विंध्य में हैं। सिंह ने कहा, ‘इस बार विधानसभा में एंट्री के लिए हमारी कोशिश जारी हैं लेकिन यह मतदाताओं पर निर्भर करता है। विंध्य क्षेत्र में नए राजनीतिक विचारों को अपनाने का इतिहास रहा है। इसलिए, राज्य के अन्य हिस्सों के साथ-साथ इस क्षेत्र पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा।’ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने पंजाब समकक्ष भगवंत मान के साथ लिए प्रचार करने के लिए दो बार क्षेत्र का दौरा किया है। मान ने आप उम्मीदवारों के समर्थन में अलग से कई सार्वजनिक बैठकें भी कीं।
1993 के बीद बीजेपी को मिली जीत
क्षेत्र की विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं को अपनाने की प्रवृत्ति के बारे में बात करते हुए, वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक टिप्पणीकार जयराम शुक्ल ने कहा कि युवा शुरू में समाजवादी आइकॉन से प्रभावित थे। उन्होंने कहा कि नतीजा यह हुआ कि आजादी के बाद इस पिछड़े क्षेत्र में सीधी जिले की सभी आठ विधानसभा सीटों और दो संसदीय क्षेत्रों में कांग्रेस हार गई। समाजवादी आंदोलन खंडित होने से 1990 के बाद, यहां की जनता बीजेपी के करीब चली गई। पार्टी ने 1993 के बाद विंध्य से चुनाव जीतना शुरू कर दिया।
बीजेपी-कांग्रेस में सीधी लड़ाई
विंध्य से ताल्लुक रखने वाले राज्य बीजेपी मीडिया सेल के सह-प्रभारी अनिल पटेल ने दावा किया कि राज्य सरकार और केंद्र द्वारा विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन को देखते हुए, उनकी पार्टी क्षेत्र में 24 से 25 सीटें जीतकर 2018 के प्रदर्शन को दोहराएगी। बीजेपी ने विंध्य क्षेत्र में दो मौजूदा लोकसभा सांसदों – सतना से गणेश सिंह और सीधी से रीति पाठक को विधानसभा के मैदान में उतारा है। वहीं प्रदेश कांग्रेस महासचिव गुरमीत सिंह मंगू ने कहा कि मध्य प्रदेश के बाकी हिस्सों की तरह विंध्य क्षेत्र में भी कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी लड़ाई है। मुझे ऐसा लगता है कि कांग्रेस विंध्य क्षेत्र में 30 में से 22 सीटों पर जीतेगी। यहां अन्य पार्टियों के लिए कोई गुंजाइश नहीं है।