दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है, इसके बावजूद साल 2020 में सैन्य और रक्षा खर्च जबरदस्त तरीके से बढ़ा. एक रिपोर्ट के मुताबिक, विशेषज्ञों ने बताया कि साल 2020 में करीब 2 ट्रिलियन डॉलर रक्षा सौदों पर खर्च हुए हैं. जबकि ग्लोबल जीडीपी पिछले साल 4.4 फीसदी सिकुड़ी है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) ने ये रिपोर्ट जारी की है.
इतने खर्च की उम्मीद नहीं थी!
सिपरी रिपोर्ट को तैयार करने वाली टीम में शामिल डिएगो लोपेस द सिल्वा ने बताया कि महामारी के दौर में रक्षा क्षेत्र में इतने खर्च की उम्मीद नहीं थी. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के इस दौर में हमें उम्मीद थी कि रक्षा पर खर्च घटेगा, लेकिन लगता है कि वैश्विक हथियार खरीदी पर कोरोना महामारी का कोई असर नहीं पड़ा. उन्होंने कहा कि रक्षा खर्च को कम करने के लिए कोई भी देश तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां दुनिया की जीडीपी गिर रही है, अर्थव्यवस्थाएं सिकुड़ रही हैं, वहां रक्षा सौदों पर इतना खर्च एक बोझ की तरह है.
हर साल की तुलना में ज्यादा खर्च
रिपोर्ट के मुताबिक साल 2009 की आर्थिक महामारी के बाद से हर साल रक्षा खरीद में 2.2 फीसदी की बढ़ोतरी हो रही थी, लेकिन पिछले साल ये बढ़ोतरी 2.4 फीसदी की रही. रिपोर्ट के मुताबिक इसके पीछे नाटो गठबंधन के नियम भी जिम्मेदार रहें. क्योंकि साल 2019 में सभी देशों ने औसतन अपनी जीडीपी का 9 फीसदी खर्च रक्षा क्षेत्र में किया था, लेकिन साल 2020 में सभी देशों ने करीब करीब पूरा खर्च यानि अपनी जीडीपी का 10 फीसदी हिस्सा रक्षा क्षेत्र में खर्च किया.
कुछ देशों की रक्षा खरीद गिरी
रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना महामारी ने कुछ देशों की रक्षा खरीद को प्रभावित भी किया. इसमें चीन और दक्षिण कोरिया जैसे देश शामिल रहें. जिन्होंने रक्षा पर खर्च के मुकाबले महामारी से निपटने पर ज्यादा जोर दिया.
कुछ देशों ने बढ़ाया रक्षा क्षेत्र पर खर्च
लोपेस द सिल्वा के मुताबिक ब्राजील और रूस ने 2020 के तय लक्ष्यों से भले ही कम रकम खर्च की, लेकिन हंगरी जैसे देश ने रक्षा क्षेत्र में कर्ज को बढ़ाया. इसमें महामारी से जुड़े उपायों पर खर्च हुई राशि भी शामिल है.
इन दो देशों ने सबसे ज्यादा रकम की खर्च
सिल्वा के मुताबिक अमेरिका और चीन दो सबसे बड़े देश रहे, जिन्होंने कुल राशि का क्रमशः 39 और 13 फीसदी रकम रक्षा क्षेत्र में खर्च किया. हालांकि चीन की जीडीपी बढ़ी है, इसलिए भले ही उसने कुल डीजीपी के 2 फीसदी से कम खर्च किया, लेकिन उसकी राशि फिर भी 2019के मुकाबले ज्यादा रही. वहीं अमेरिका ने लगातार तीसरे साल अपनी रक्षा खर्च को बढ़ाया. जबकि 2018 से पहले लगातार सात सालों तक उसने रक्षा पर खर्च को कम किया था.