नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में कहीं जाति का जोर दिखा, तो कहीं सहानुभूति की लहर। दबदबे वाली सीटों पर भी ध्रुवीकरण हुआ। मतदाताओं ने प्रत्याशियों से ज्यादा राजनीतिक दलों के बड़े चेहरों को तवज्जो देते हुए मतदान किया। संभल में सांसद शफीकुर्रहमान बर्क की मृत्यु के बाद चुनाव में सहानुभूति लहर का असर दिखा और लोगों ने भीषण गर्मी की परवाह किए बिना मतदान किया। वहीं, बरेली में मुकाबला बेहद रोचक होता नजर आया। यहां बसपा प्रत्याशी के मैदान से बाहर होने की वजह से दलित वोट किंगमेकर बन गया। तीसरे चरण में चुनाव बहिष्कार के तमाम मामले सामने आए, तो वहीं दूसरी ओर मैनपुरी में कई जगहों पर झड़प की सूचना मिली है।
संभल : खांचों में बंटे मतदाता
संभल में सपा प्रत्याशी जियाउर्रहमान बर्क और भाजपा के उम्मीदवार परमेश्वर लाल सैनी के बीच मुकाबला है। बसपा प्रत्याशी दम नहीं दिखा सके। संभल लोकसभा क्षेत्र की विधानसभा क्षेत्र संभल में सपा प्रत्याशी आगे रहे, तो असमोली विधानसभा क्षेत्र में सपा और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला हुआ है। चंदौसी क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी, सपा से काफी आगे नजर आए। जबकि कुंदरकी और बिलारी में दोनों के बीच टक्कर दिखी।
बरेली : दलित वोट बनाएंगे सांसद
बरेली सीट पर सपा के प्रवीण सिंह ऐरन और भाजपा के छत्रपाल गंगवार के बीच सीधी टक्कर हुई। बसपा के मैदान में न होने से दलित मतों में बिखराव नजर आया। बरेली सीट पर ध्रुवीकरण की छाया रही। ग्रामीण क्षेत्र मतदान में आगे रहा, जबकि शहरी वोटर सुस्त नजर आए। भीषण गर्मी की वजह से शहरी इलाकों के मतदाता बाहर नहीं निकले। ऐसे में मुस्लिम और दलित मतदाता चुनाव नतीजों पर खासा असर डाल सकते हैं।
आंवला : सीधी लड़ाई
आंवला सीट पर भाजपा के धर्मेंद्र कश्यप और सपा के नीरज मौर्य में सीधी लड़ाई दिखी। वहीं, बसपा के आबिद अली अधिकांश जगह मैदान से बाहर नजर आए। इस सीट पर जातीय बिखराव के साथ ही मुस्लिम मतदाता अधिकांश जगह सीधे सपा को वोट करते नजर आए। ये परिणाम को प्रभावित कर सकता है।
बदायूं : बसपा बिगाड़ सकती है समीकरण
बदायूं सीट पर भाजपा के दुर्विजय सिंह और सपा के आदित्य यादव में सीधी टक्कर है। अनुसूचित जाति बहुल बूथों पर बसपा के मुस्लिम खां खूब लड़े। मुस्लिम और दलित वोट बैंक में अगर बड़ा बिखराव नहीं हुआ तो नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं।
हाथरस : कम मतदान ने बढ़ाई चिंता
हाथरस में प्रत्याशियों से ज्यादा पार्टी नेतृत्व का चेहरा हावी नजर आया। सपा-बसपा के अपरिचित चेहरों के बीच भाजपा प्रत्याशी एवं प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री अनूप वाल्मीकि प्रभावी दिखे। सपा के जसवीर वाल्मीकि और बसपा के हेमबाबू धनगर पार्टी के परंपरागत वोटबैंक तक सीमित नजर आए। कम मतदान प्रतिशत भाजपा के लिए चिंता की बात है।
मैनपुरी : लड़ाई कांटे की
सबसे चर्चित मैनपुरी सीट पर सपा प्रत्याशी डिंपल यादव और भाजपा प्रत्याशी पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह के बीच लड़ाई है। बसपा प्रत्याशी शिवप्रसाद यादव ने भी वोट खींचे। जयवीर सिंह के प्रति ठाकुरों के झुकाव से अन्य जातियों में अंदरखाने उन्हें विरोध झेलना पड़ा। शाक्य वोट बैंक भी भाजपा के पाले में जाता नहीं दिखा। शाक्य वोट मिलने से सपा मजबूत स्थिति में आ सकती है।
आगरा : त्रिकोणीय मुकाबला
आगरा में भाजपा प्रत्याशी एसपी सिंह बघेल, सपा गठबंधन के सुरेश चंद्र कर्दम और बसपा प्रत्याशी पूजा अमरोही के बीच त्रिकोणीय मुकाबला दिखा। आगरा उत्तर, दक्षिण, छावनी इलाके में भाजपा प्रत्याशी बढ़त लेते नजर आए। वहीं, एत्मादपुर व जलेसर में तीनों प्रत्याशियों के बीच वोटों का बंटवारा होता दिखा। मुस्लिम मतों का बिखराव इस बार ज्यादा नहीं हो सका। इसका फायदा सपा गठबंधन को मिलता नजर आ रहा है।
फतेहपुर सीकरी : दिखी किलेबंदी
फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट पर मुकाबला बड़ा रोचक हो गया है। मतदाताओं की भाजपा प्रत्याशी राजकुमार चाहर से नाराजगी का असर दिखा। बची कसर भाजपा के बागी प्रत्याशी रामेश्वर सिंह ने पूरी कर दी। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर भी मतदान हुआ है। बसपा प्रत्याशी ने भी कई जगह दम दिखाया, मगर वह मुख्य मुकाबला इंडी गठबंधन के रामनाथ सिकरवार और भाजपा प्रत्याशी राजकुमार चाहर के बीच होता नजर आ रहा है।
एटा : कमल और साइकिल में मुकाबला
एटा में लड़ाई कमल और साइकिल में ही दिखाई दी। पांचों विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं का रुझान देखकर यह स्पष्ट है कि बसपा प्रत्याशी मो. इरफान चुनावी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में सफल नहीं हो सके।
फिरोजाबाद : आसान नहीं अक्षय की राह
फिरोजाबाद में भाजपा प्रत्याशी ठाकुर विश्वदीप सिंह व सपा प्रत्याशी अक्षय यादव के बीच लड़ाई है। बसपा प्रत्याशी चौधरी बशीर बड़ा उलटफेर करते नहीं दिखे। ठाकुर विश्वदीप सिंह काे अपनी बिरादरी के वोट तो मिले, लेकिन लोधे राजपूत समाज ने उनका अंदरखाने विरोध भी किया।