नई दिल्ली: महाराष्ट्र में कांग्रेस की अगुआई में चुनाव लड़ने वाली महाविकास अघाड़ी की करारी हार के बाद गठबंधन के सहयोगी राहुल गांधी पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। इंडी गठबंधन में रार चुनाव परिणाम आते ही देखने को मिलने लगी। पहला संकेत तो यही था कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने गठबंधन की बैठक बुलाई और इसमें टीएमसी का कोई भी प्रतिनिधि शामिल नहीं हुआ। बाद में टीएमसी नेता ने यह भी कहा कि अब गठबंधन का नेतृत्व टीएमसी को करना चाहिए।
टीएमसी ने कहा कि उसेक नेता कोलकाता में होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में व्यस्त थे। संसद का सत्र भी शुरू होने वाला था। ऐसे में भी टीएमसी नेता का दिल्ली में बैठक में शामिल ना होना कांग्रेस के लिए चिंता की बात है। न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक एक टीएमसी नेता ने कहा, टीएमसी ने अपने दम पर उपचुनाव में सभी छह सीटें जीत लीं। बीजेपी के अलावा कांग्रेस और सीपीएम भी सामने थे। हम चुनावी गठबंधन में नहीं हैं इसलिए यह भी जरूरी नहीं है कि किसी पार्टी के लिए जवाबदेह हों।
टीएमसी के कल्याण बनर्जी ने यहां तक कहा कि ममता बनर्जी को इंडिया का मुखिया बना देना चाहिए। इंडिया गठबंधन के नेता राहुल गांधी को भी इस हार के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक उनका कहना है कि चुनाव के दौरान वीर सावरकर का नाम लेकर हमला करना, कांग्रेस ही नहीं बल्कि उसके सहयोगियों के भी खिलाफ चला गया। बहुत सारे लोगों की भावनाएं आहत हुईं और इसी दौरान ‘बटोगे तो कटोके’ का नारा आ गया। राहुल गांधी फिर भी नहीं रुके और उसी तरह हमला करते चले गए।
इंडिया गठबंधन के दलों का कहना है कि जातिगत सर्वे की बात भी नुकसानदेह साबित हुई। बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस सत्ता में आई तो आरक्षण खत्म कर देगी और महाविकास अघाड़ी इसे काउंटर नहीं कर पाया। इसके अलावा राहुल गांधी ने सीधा प्रधानमंत्री पर हमला करना शुरू किया। कई सहयोगियों ने समझाया भी कि इससे काम नहीं बनने वाला है। इसके बाद भी उन्होंने किसी सलाह पर ध्यान नहीं दिया और अपने अंदाज में हमला करते चले गए। सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी के कुछ करीबियों ने भी उन्हें समझाया था कि संविधान खतरे में हैं, वाली बात ना दोहराएं। इसके बाद भी राहुल गांधी ने अपना पुराना अंदाज जारी रखा।