नई दिल्ली: भारत और अमेरिका ने एक नए रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते से दोनों देशों को एक-दूसरे की जरूरतों को पूरा करने के लिए रक्षा उपकरणों और पुर्जों की आपूर्ति में सहायता मिलेगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस साझेदारी को वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक मजबूत ताकत बताया है। राजनाथ सिंह ने वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग, औद्योगिक सहयोग, क्षेत्रीय सुरक्षा और अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर व्यापक चर्चा की।
SOSA समझौते पर हस्ताक्षर
राजनाथ सिंह की अमेरिका यात्रा के दौरान ‘सिक्योरिटी ऑफ सप्लाई अरेंजमेंट’ (SOSA) पर हस्ताक्षर किए गए। इस दौरान दोनों देशों ने टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सैन्य सहयोग बढ़ाने जैसे कई अन्य पहलुओं पर भी चर्चा की। अधिकारियों के अनुसार, SOSA समझौते पर अमेरिका की ओर से प्रिंसिपल डिप्टी असिस्टेंट सेक्रेटरी ऑफ डिफेंस फॉर इंडस्ट्रियल बेस पॉलिसी विक रमदास और भारत की ओर से अपर सचिव और महानिदेशक (अधिग्रहण) समीर कुमार ने हस्ताक्षर किए। यह समझौता दोनों देशों को आपूर्ति श्रृंखला में आने वाली अचानक बाधाओं को दूर करने के लिए आवश्यक औद्योगिक संसाधनों को हासिल करने में सक्षम बनाएगा।
दोनों देशों को डिफेंस सेक्टर में होगा फायदा
यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल पुशन दास ने कहा, ‘SOSA समझौते से दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधी उत्पादों के अधिग्रहण के रास्ते बढ़ेंगे। यह समझौता भले ही कानूनी रूप से बाध्यकारी न हो, लेकिन भारतीय और अमेरिकी कंपनियों के बीच क्रॉस इन्वेस्टमेंट और साझेदारी के नए रास्ते खोलेगा।’ भारत अब उन घरेलू कंपनियों की एक लिस्ट तैयार करेगा जो अमेरिका को सैन्य उपकरणों की आपूर्ति करने के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए स्वेच्छा से आगे आएंगी। इससे आने वाले सालों में भारतीय कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण व्यावसायिक अवसर खुलने की संभावना है।
एक अन्य समझौते पर भी हो रही चर्चा
अमेरिका का 17 देशों और BAE, SAAB और थेल्स सहित कई वैश्विक रक्षा कंपनियों के साथ एक समान समझौता है। भारत और अमेरिका एक और समझौते – ‘रेसिप्रोकल डिफेंस प्रोक्योरमेंट एग्रीमेंट’ (RDP) पर भी बातचीत कर रहे हैं – जो भारतीय निर्माताओं के लिए अमेरिकी रक्षा दिग्गजों के साथ जुड़ने के अवसरों में भारी इजाफा करेगा।
दोनों देशों के डिफेंस इकोसिस्टम जुड़ेंगे
RDP के अंतिम रूप दिए जाने के बाद, भारत उन 26 देशों की सूची में शामिल हो जाएगा जिन्हें ‘डिफेंस फेडरल एक्विजिशन रेगुलेशन सप्लीमेंट’ (DFARS) के अनुरूप होने का दर्जा प्राप्त है। केवल यही देश अमेरिकी सैन्य ऑर्डर के लिए महत्वपूर्ण घटकों और भागों की आपूर्ति करने के लिए योग्य हैं। यह समझौता विनिर्माण क्षेत्र के लिए बड़े द्वार खोलेगा। खासकर स्टील, कॉपर, निकल, टाइटेनियम और ज़िरकोनियम से बने कास्टिंग और अन्य घटकों के ऑर्डर के मामले में, जिनकी अमेरिकी सैन्य ऑर्डर के लिए आवश्यकता होती है। यह दोनों देशों के डिफेंस इकोसिस्टम को भी जोड़ेगा।
पुशन दास ने आगे कहा, “एक ‘रेसिप्रोकल डिफेंस प्रोक्योरमेंट एग्रीमेंट’ (RDP) पर हस्ताक्षर करना अगला कदम है, क्योंकि अन्य बातों के अलावा यह भारत को ‘बाय अमेरिकन’ कानून के तहत खरीद बाधाओं से छूट देने की अनुमति देगा।” राजनाथ सिंह की यात्रा के साथ-साथ, भारत और अमेरिका ने संपर्क अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए। भारत पहले संपर्क अधिकारी को फ्लोरिडा, अमेरिका में मुख्यालय स्पेशल ऑपरेशंस कमांड में तैनात करेगा।