नई दिल्ली : विश्व बैंक, आईएमएफ, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम और दुनिया की बाकी संस्थाओं की ओर से ग्लोबल रिसेशन (Global Recession) की बात सामने आ रही है. तमाम इकोनॉमिक लीडर्स रिसेशन और उसके असर की बात कर रहे हैं. हाल ही में चीन के जीडीपी (China GDP) के आंकड़ें आएं हैं, जो 3 फीसदी की ग्रोथ दिखा रहा है. यह आंकड़ें बीते 50 साल में दूसरी बार सबसे खराब देखने को मिले हैं.
एक दिन पहले अमेरिका के मैन्युफैक्चरिंग से लेकर तमाम डेटा देखने को मिले हैं, जो काफी खराब हैं. ऐसे में रिसेशन की बात को नकारा नहीं जा सकता, लेकिन भारत के आंकड़ें कुछ और ही गवाही दे रहे हैं. जिस मंदी की आहट का जिक्र दुनिया में कहा जा रहा है इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ें उसे मात देते हुए दिखाई रहें हैं. आइए उन आंकड़ों पर नजर दौड़ाते हैं, जिनकी वजह से भारत मजबूत दिखाई दे रहा है.
जीएसटी कलेक्शन रिकॉर्ड लेवल
दिसंबर के महीने में लगातार 10 महीने जीएसटी कलेक्शन 1.40 लाख करोड़ रुपये के पार दिखाई दिया. दिसंबर में सरकार ने 1,49,507 करोड़ हुआ है. जोकि एक साल पहले की समान अवधि में 15 फीसदी ज्यादा है. जिसके तहत सीजीएसटी 26,711 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 33,357 करोड़ रुपये और आईजीएसटी 78,434 करोड़ रुपये देखने को मिले है. इसका मतलब है कि इनडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन के मामले में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है.
डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में भी इजाफा
वहीं दूसरी ओर डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में भी दिसंबर के महीने में 20 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है. इनकम टैक्स के डिपार्टमेंट के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर के महीने में कुल डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 12.31 लाख करोड़ रुपये का देखने को मिला. यह टैक्स कलेक्शन वित्तीय वर्ष 2022—23 कुल बजट में प्रत्यक्ष करों का अनुमान का 86.68 फीसदी है. इसका मतलब है कि डायरेक्ट टैक्स के मोर्चे पर भी सरकार तेजी से आगे बढ़ रही है.
मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में 800 दिनों की सबसे बड़ी तेजी
भारत की मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में 800 दिनों के बाद सबसे बड़ी तेजी देखने को मिली है. दिसंबर 2022 में इस सेक्टर में अक्टूबर 2020 के बाद बड़ा आंकड़ा छुआ है. इसका कारण व्यापार की स्थिति में सुधार होने, नए ऑर्डर और आउटपुट में इजाफा होना बताया जा रहा है. सोमवार को एसएंडपी ग्लोबल द्वारा संकलित Manufacturing Purchasing Managers Index नवंबर के 55.7 से बढ़कर दिसंबर में 57.8 हो गया, जो रॉयटर्स पोल के 54.3 के औसत पूर्वानुमान से बेहतर है.
सर्विस सेक्टर 6 महीने के हाई पर
एसएंडपी ग्लोबल पीएमआई डेटा के अनुसार, नवंबर के 56.4 की तुलना में दिसंबर में भारत की सर्विस पीएमआई बढ़कर 58.5 हो गई. रिपोर्ट के अनुसार 2022 के आखिरी महीने में इंडियन सर्विस सेक्टर की सेहत में सुधार हुआ है, नए कारोबार में तेजी से प्रोडक्शन वृद्धि को बढ़ावा मिला है. रिपोर्ट के अनुसार नौकरियों में इजाफा हुआ और कंपनियां नए वर्ष के प्रति उत्साहित रहीं. दिसंबर पीएमआई में जून 2022 के बाद सबसे बड़ी तेजी यानी 6 महीने का सबसे बड़ा इजाफा देखने को मिला है. इस डेटा से साफ है कि भारत में मंदी का असर ना के बराबर है.
रिटेल महंगाई के आंकड़ें
वहीं दूसरी ओर भारत में लगातार दूसरे महंगाई में गिरावट देखने को मिली है. रिटेल महंगाई की बात करें तो दिसंबर के महीने में महंगाई 5.72 फीसदी पर आ गई है जो कि आरबीआई के टॉलरेंस लेवल 6 फीसदी से कम है. नवंबर के महीने में रिटेल महंगाई 5.88 फीसदी पर थी. जबकि अक्टूबर के महीने में रिटेल महंगाई के आंकड़ें 6.50 फीसदी से ज्यादा थे. दिसंबर के महीने में महंगाई कम होने की प्रमुख वजह फूड इंफ्लेशन कम होना रहा, जो महंगाई बकेट का लगभग 40 फीसदी है, दिसंबर में 4.19 फीसदी पर आ गई, जबकि पिछले महीने यह 4.67 फीसदी थी. दिसंबर के महीने में रिटेल महंगाई करीब 1 साल में सबसे कम है.
थोक महंगाई 22 महीने में सबसे कम
दिसंबर 2022 के महीने में थोक महंगाई घटकर 4.95 प्रतिशत पर आ गई. मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों और कच्चे तेल की कीमतों में कमी के चलते यह गिरावट हुई. थोक महंगाई नवंबर 2022 में 5.85 फीसदी और दिसंबर 2021 में 14.27 फीसदी थी. मौजूदा समय में थोक महंगाई देश में 22 महीने के निचले स्तर पर है. इसका मतलब है कि देश में रिसेशन का असर बिल्कुल भी नहीं है.
इंडस्ट्रीयल सेक्टर में भी उछाल
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक यानी आईआईपी के भी आंकड़ें भी काफी अच्छे देखने को मिले हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार नवंबर के महीने में आईआईपी में 7.1 फीसदी का उछाल देखने को मिला है. जबकि अक्टूबर के महीने में यह आंकड़ा 4 फीसदी पर था. आईसीआरए के चीफ इकोनॉमिस्ट के अनुसार दिसंबर के आंकड़ों में और भी सुधार देखने को मिल सकता है जो फरवरी के महीने में देखने को मिलेंगे.