नई दिल्ली l इंडियन नेवी ने इस मौके को देश के लिए ‘गौरवान्वित करने वाला और ऐतिहासिक’ दिन बताया है। इस एयरक्राफ्ट को बनाने में जिन सामग्रियों और उपकरणों का इस्तेमाल हुआ है, उनमें 76 प्रतिशत से ज्यादा देसी हैं। भारत के इस महायोद्धा के समंदर में उतरने से चीन और पाकिस्तान को जरूर मिर्ची लगेगी। दरअसल ‘विक्रांत’ नाम आते ही पाकिस्तान को तो 1971 की अपनी करार हार याद आएगी जबकि हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बढ़ाने में लगे चीन को अब किसी भी हिमाकत से पहले कई बार सोचना पड़ेगा।
40 हजार टन वजन, तैनात किए जा सकेंगे 30 फाइटर जेट
विक्रांत का वजन 40,000 टन है। यह एयरक्राफ्ट कैरियर करीब 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है। इस पर 30 लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं। एयरक्राफ्ट कैरियर ‘विक्रांत’ पर मिग-29के लड़ाकू विमानों और केए-31 हेलिकॉप्टरों का एक बेड़ा तैनात किया जाएगा।
ऐतिहासिक उपलब्धि… चुनिंदा देशों में शुमार हुआ भारत
इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों में शुमार हो गया है, जिनके पास स्वदेश में डिजाइन करने, निर्माण करने और अत्याधुनिक एयरक्राफ्ट कैरियर तैयार करने की विशिष्ट क्षमता है।
निर्माण में लगे 23 हजार करोड़, अगले साल नेवी में हो सकता है शामिल
इस एयरक्राफ्ट कैरियर को सभी जरूरी ट्रायल्स पूरे करने के बाद अगले साल की दूसरी छमाही में इंडियन नेवी में शामिल किए जाने की उम्मीद है। इसे करीब 23,000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है। विक्रांत को कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड ने बनाया है।
‘आत्मनिर्भर भारत’ के फौलादी इरादों का गवाह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विक्रांत के समुद्र में उतरने को आत्मनिर्भरता के लिए देश के अडिग प्रण की सच्ची गवाही बताया है। उन्होंने कहा कि कोरोना के बावजूद भी सच्चे समर्पण और सभी स्टेकहोल्डर्स की प्रतिबद्धता की वजह से यह ऐतिहासिक मील का पत्थर हासिल हुआ है। इंडियन नेवी के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने भी कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ पहल में यह एक गौरवान्वित करने वाला और ऐतिहासिक क्षण है।’
भारत के लिए गौरव का क्षण…ऐतिहासिक दिन
खास बात यह है कि ‘विक्रांत’ नाम के ही एक एयरक्राफ्ट कैरियर ने 50 साल पहले 1971 के भारत-पाक युद्ध में हिंदुस्तान की जीत में अहम भूमिका निभाई थी। इंडियन नेवी के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने कहा, ‘यह भारत के लिए गौरवान्वित करने वाला और ऐतिहासिक दिन है क्योंकि 1971 के युद्ध में जीत में अहम भूमिका निभाने वाले अपने शानदार पूर्ववर्ती जहाज के 50वें साल में आज यह प्रथम समुद्री परीक्षण के लिए रवाना हुआ।’
भारत में बना सबसे बड़ा और विशालकाय एयरक्राफ्ट कैरियर
‘विक्रांत’ कई मामलों में बेहद खास है। न सिर्फ यह भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है बल्कि देश में बना सबसे बड़ा और विशालकाय युद्धपोत भी है। इंडियन नेवी में शामिल होने के बाद यह देश का दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर होगा। फिलहाल भारत में सिर्फ एक एयरक्राफ्ट कैरियर है- आईएनएस विक्रमादित्य।
हिंद महासागर में नहीं चलेंगी चीन की चालबाजियां
इंडियन नेवी हिंद महासागर क्षेत्र में सैन्य मौजूदगी बढ़ाने की चीन की बढ़ती कोशिशों के मद्देनजर अपनी संपूर्ण क्षमता महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने पर जोर दे रही है। हिंद महासागर, देश के रणनीतिक हितों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ‘विक्रांत’ के जरिए भविष्य में हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की किसी की तरह की चालबाजी या हिमाकत का समय रहते मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकेगा।
खबर इनपुट एजेंसी से