नई दिल्ली: भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में अमेरिका की ओर से ऑटो आयात पर लगाए गए भारी टैरिफ को चुनौती दी है. भारत ने ये कदम ऐसे वक्त में उठाया है, जब टैरिफ में कटौती को लेकर अमेरिका से बातचीत जारी है. 2 जून को WTO को दिए गए आवेदन में भारत ने कहा कि यात्री वाहनों, हल्के ट्रकों और ऑटो पार्ट्स पर अमेरिका की ओर से 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया है. ये अमेरिका का एक सुरक्षा उपाय है, जिसका मकसद घरेलू उत्पादकों को आयात बढ़ोतरी से बचाना है.
भारत ने WTO से कहा कि 3 मई 2025 से लागू हुआ ये टैरिफ संगठन की सुरक्षा समिति को पूर्व सूचना दिए बिना लागू किए गए, जो WTO के सुरक्षा समझौते के खिलाफ हैं. भारत ने WTO से सुरक्षा समझौते के तहत दखल देने की मांग की है. इसका मकसद अमेरिका के साथ बातचीत करना और टैरिफ की वैधता का आकलन करना है. भारत ने विश्व व्यापार संगठन को ये बताया है कि किस तरह टैरिफ के जरिए उसका ऑटो निर्यात प्रभावित हो रहा है. साथ ही अमेरिका से जल्द से जल्द बातचीत के लिए तारीख और जगह फाइनल करने का गुजारिश की.
जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार भारत
इतना ही नहीं, भारत ने WTO से कहा है कि वह भी जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है. अगर WTO नियमों के तहत तय 30 दिन के भीतर किसी समाधान पर पहुंचने में विफल रहता है. नोटिस में कहा गया है, “भारत विश्व व्यापार संगठन और उसके सदस्यों की स्थापना के समझौते के तहत अपने सभी अधिकार सुरक्षित रखता है, जिसमें सुरक्षा उपायों पर समझौता भी शामिल है.”
पहली बार मुखर हुआ भारत
ये पहला मौका है, जब टैरिफ वॉर के बीच WTO में बातचीत रखकर भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में मुखर रुख अपनाया है भारत ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ की घोषणा के बाद ट्रंप प्रशासन के साथ जुड़ने वाले पहले देशों में से एक था और अब तक, उसने अमेरिकी व्यापार नीतियों की खुलेआम आलोचना करने से परहेज किया है. इसके बजाय शांत कूटनीति का रास्ता अपनाया है. हालांकि, भारत ने पहले भी धातु आयात पर अमेरिकी टैरिफ पर जवाबी कार्रवाई की धमकी देते हुए उसी तरह जवाब देने की अपनी इच्छा का संकेत दिया है.
जुलाई में समाप्त होगी 90 दिन की रियायत
WTO में भारत की ओर से ऐसे वक्त में आवाज उठाई गई है, जब दोनों देश जुलाई से पहले अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए काम कर रहे हैं. जुलाई में नए टैरिफ पर 90 दिनों की रोक समाप्त हो जाएगी. इसके अलावा 5-6 जून को भारत में अमेरिकी ट्रेड डेलिगेशन का दौरा भी होने जा रहा है. इसका मकसद टैरिफ के मुद्दों पर बातचीत को आगे बढ़ाना है, जिसमें हाल ही में स्टील और एल्युमीनियम पर अमेरिकी शुल्कों को दोगुना करना भी शामिल है.
क्या कदम उठाएगा भारत
WTO में भारत की ओर से दी गई दलील में तर्क दिया गया है कि अमेरिकी ने सुरक्षा उपायों के रूप में टैरिफ लगाया है. इसलिए उन्हें नियमों में पालन करना चाहिए. अगर बातचीत सफल नहीं होती है तो प्रतिक्रिया के रूप में भारत नियमों के तहत अमेरिकी आयातों पर शुल्क लगा सकता है. भारत ने कहा कि वह विश्व व्यापार संगठन की स्थापना के समझौते के तहत अपने सभी अधिकारों को सुरक्षित रखता है, जिसमें सुरक्षा उपायों पर समझौता भी शामिल है. अगर बातचीत से कोई हल नहीं निकलता है तो WTO नियम किसी देश को टैरिफ लगाकर रियायतों को खत्म करने का अधिकार देते हैं.