नई दिल्ली। भारत की समुद्री सुरक्षा और बढ़ने वाली है। अमेरिका ने भारत को पनडुब्बी रोधी युद्धक सोनोबॉय और संबंधित उपकरणों की संभावित विदेशी सैन्य बिक्री की डील फाइनल हो चुकी है। इस करार की अनुमानित लागत 52.8 मिलियन डॉलर होगी। आइए पहले जान लें कि भारतीय नौसेना को आखिर सोनोबॉय की जरूरत क्यों पड़ी।
सोनोबॉय एक पोर्टेबल सोनार सिस्टम है। सोनार सिस्टम के जरिए पानी में साउंड वेव्ज छोड़ी जाती हैं। अगर इसके रास्ते कोई पनडुब्बी,जहाज आ कोई अन्य वस्तु टकराती है तो इसकी इको (प्रतिध्वनि) आती है। सोनोबॉय के तीन मुख्य प्रकार एक्टिव, पैसिव और स्पेशल पर्पस सोनोबॉय होते हैं। सोनोबॉय के जरिए भारतीय नौसेना समुद्र में पाकिस्तान और चीन की नापाक चाल को मुंह तोड़ जवाब देने के लिए और सक्षम हो जाएगी।
भारत में एमएस-60आर हेलीकॉप्टरों का पहला स्क्वाड्रन तैयार
एकॉस्टिक सेंसर वाले सोनोबॉय (Anti Submarine Warfare Sonobuoys) से लैस होने के बाद भारतीय नौसेना समुद्र के भीतर दुश्मन की सबमरीन की बेहद धीमी आवाजों को भी काफी अच्छे से सुन सकेगी। अमेरिकी मूल के MH-60R हेलीकॉप्टरों से पनडुब्बी रोधी युद्ध संचालन करने की क्षमता को बढ़ाकर खतरों से निपटने की भारत की क्षमता बढ़ेगी।
वहीं, युद्ध के समय दुश्मन की सबमरीन को खत्म करने में आसानी होगी। भारत ने एमएस-60आर हेलीकॉप्टरों का अपना पहला स्क्वॉड्रन बना लिया है। इसमें वे छह हेलीकॉप्टर शामिल हैं, जिनकी आपूर्ति अमेरिका से की जा चुकी है।