नई दिल्ली: भारतीय सेना के जवान न सिर्फ देश में, बल्कि विदेशों में भी तैनात रहते हैं. वे हर जगह अपनी जान की परवाह किए बिना ड्यूटी को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं. इसी वजह से भारतीय सेना की दुनिया भर में तारीफ होती है. इसके अलवा कई देश भी अपनी सेना को मिशन के लिए भेजती है. कांगों के मिशन में 301 इंफेंट्री ब्रिगेड में पाकिस्तानी सेना भारतीय सेना के अंडर ऑपरेट करती है.
संयुक्त राष्ट्र के तहत शांति सेना के रूप में भारतीय सेना अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रही है. बहादुरी के लिए कई सैनिकों को सम्मानित भी किया गया है. इसी कड़ी में दो भारतीय शांति सैनिकों, ब्रिगेडियर अमिताभ झा और हवलदार संजय सिंह को मरणोपरांत डैग हैमार्स्क्जॉल्ड मेडल (Hammarskjöld Medal) से नवाजा जाएगा. यह मेडल 29 मई को UN हेडक्वार्टर में आयोजित एक विशेष समारोह में दिया जाएगा.
डैग हैमार्स्क्जॉल्ड मेडल क्यों दिया जाता है?
डैग हैमार्स्क्जॉल्ड मेडल की स्थापना 1997 में UNSC प्रस्ताव 1121 के तहत की गई थी. यह मेडल दूसरे संयुक्त राष्ट्र महासचिव डैग हैमार्स्क्जॉल्ड की याद में दिया जाता है, जिनकी 1961 में एक पीसकीपिंग मिशन के दौरान विमान दुर्घटना में मौत हो गई थी. यह सम्मान हर साल उन सैनिकों, पुलिसकर्मियों और नागरिकों को मरणोपरांत दिया जाता है जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में अपनी जान गंवाई हो.
ब्रिगेडियर अमिताभ झा यूनाइटेड नेशन डिसएंगेजमेंट ऑब्जर्वर फोर्स (UNDOF) में तैनात थे. इस फोर्स का काम गोलान हाइट्स में इजरायल और सीरिया की सीमा पर सीजफायर को बहाल रखना था. हवलदार संजय सिंह UN की तैनाती स्टेबिलाइजेशन मिशन के तहत कांगो में थे, जहां वे संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में शांति बहाल करने का काम कर रहे थे.
शांति सेना में भारत का बड़ा योगदान
दुनिया में भारत UN पीसकीपिंग मिशन में तीसरा सबसे बड़ा योगदान करने वाला देश है. अब तक भारत ने 49 मिशनों में 2 लाख से ज्यादा सैनिकों को भेजा है. फिलहाल 11 एक्टिव मिशन चल रहे हैं. इनमें से 9 में भारतीय सेना शामिल है. 5 मिशन में सेना की बटालियन तो 4 मिशन में स्टाफ अफसर या मिलिट्री ऑब्जर्वर के तौर पर मौजूद हैं.
भारतीय सैनिक UNIFIL के तहत लेबनान में 900, कांगो में MONUSCO मिशन में 1100, सूडान और साउथ सूडान में UNMIS/UNMISS के तहत 600 और 2400, गोलान हाइट्स में UNDOF के अंतर्गत 200 में तैनात हैं. वेस्टर्न सहारा, मिडिल ईस्ट, साइप्रस और सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक में जारी मिशन में स्टाफ अफसर या मिलिट्री ऑब्जर्वर के तौर पर मौजूद हैं. 1950 से अब तक अलग-अलग मिशनों में भारत ने अपने 179 सैनिकों को खोया है.
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