नई दिल्ली: इजरायल पर ईरान के हालिया मिसाइल हमलों ने भारत को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है कि उसे अपनी मिसाइल रक्षा प्रणाली को और मजबूत कैसे बनाए। इस हमले ने दिखाया है कि कमजोर देश भी सस्ती मिसाइलों से ताकतवर देशों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे में भारत को कम लागत वाली इंटरसेप्टर मिसाइलें विकसित करने पर काम करना चाहिए।
भारत ने अपनी सुरक्षा के लिए BMD सिस्टम में निवेश किया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि बड़े हमले से बचने के लिए ये सिस्टम पर्याप्त नहीं हैं। इसलिए भारत को आधुनिक इंटरसेप्टर मिसाइलों की जरूरत है। एक सुझाव ये है कि भारत मौजूदा अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) पर इंटरसेप्टर मिसाइलें लगा सकता है। इससे भारत उन मिसाइलों को निशाना बना सकेगा जो देश के महत्वपूर्ण शहरों या सैन्य ठिकानों की ओर बढ़ रही हैं। इससे भारत अपने सीमित इंटरसेप्टर मिसाइलों को बड़े खतरों के लिए बचा सकेगा।
पाक और चीन की बैलिस्टिक मिसाइल बनी चुनौतियां
पाकिस्तान और चीन की बैलिस्टिक मिसाइल क्षमताएं भी भारत के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। दोनों देशों ने छोटी दूरी की मिसाइलों का बड़ा जखीरा बनाया है। भारत के प्रमुख शहरों से उनकी सीमाओं की निकटता हमले का खतरा बढ़ा देती है। इन खतरों से निपटने के लिए भारत को बहुस्तरीय मिसाइल रक्षा प्रणाली में निवेश करना चाहिए। जिसमें BMD सिस्टम, इंटरसेप्टर मिसाइलें और अर्ली वॉर्निंग सिस्टम शामिल हैं। कम लागत वाली इंटरसेप्टर मिसाइलें विकसित करके भारत अपनी सुरक्षा को बढ़ा सकता है।
इजरायल पर ईरान के हमले भारत के लिए एक चेतावनी हैं। ये घटनाएं दिखाती हैं कि कमजोर देश भी सस्ती मिसाइलों से कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं। भारत को अपनी मिसाइल रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने की तुरंत आवश्यकता है। कम लागत वाली इंटरसेप्टर मिसाइलें विकसित करना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। भारत को अपनी सुरक्षा के लिए एक मजबूत मिसाइल रक्षा प्रणाली की आवश्यकता है।